Sunday, November 9, 2025

पवन सिंह की पत्नी ही बनेंगी विरोध की आवाज? ‘बलिया की बेटी’ की एंट्री से हिली बिहार की सियासत!

बिहार की सियासत में इन दिनों एक नया मोड़ आ गया है, जो राजनीतिक मंच से लेकर निजी रिश्तों तक की सीमाएं तोड़ता नजर आ रहा है। भोजपुरी स्टार और बीजेपी नेता पवन सिंह, जो वर्तमान में बिहार से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, अब अपनी ही पत्नी ज्योति सिंह के कारण एक नई मुसीबत में घिरते दिख रहे हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और INDIA गठबंधन के नेता अवलेश सिंह ने चौंकाने वाला दावा किया है कि अगर पवन सिंह ने अपनी पत्नी ज्योति सिंह को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया, तो वह INDIA गठबंधन के लिए प्रचार करेंगी। यह दावा चुनावी मैदान में एक भावनात्मक और सामाजिक मोर्चे को भी खोलता है, जो सीधे-सीधे पवन सिंह की छवि और समर्थन आधार को प्रभावित कर सकता है।

पवन सिंह पर आरोप – ‘शादी कर मंच से मुकर गए’

दावा करने वाले सपा नेता अवलेश सिंह ने कहा है कि पवन सिंह ने बलिया के शंकर होटल में हिंदू रीति-रिवाज से शादी की थी और स्वयं मंच पर ज्योति सिंह की मांग में सिंदूर भी भरा था। बावजूद इसके, उन्होंने आरा की अदालत में तलाक की अर्जी डाल दी। जब इस मुद्दे पर मीडिया का दबाव बना, तो पवन सिंह बैकफुट पर आ गए और ज्योति को ‘स्वीकार’ करने की बात कही। सपा नेता का कहना है कि यह केवल एक निजी मामला नहीं, बल्कि महिला सम्मान और पारिवारिक मूल्यों का सवाल है, जो अब चुनावी एजेंडे में भी शामिल हो चुका है।

सिंह ने कहा कि “अगर पवन सिंह ने सार्वजनिक रूप से अपनी पत्नी को स्वीकार नहीं किया, तो ज्योति सिंह खुद INDIA गठबंधन की स्टार प्रचारक बनेंगी। वह न केवल अपने निजी अनुभव साझा करेंगी, बल्कि महिलाओं के हक की आवाज बनेंगी।” इस बयान के बाद सियासी हलकों में कयासों का बाजार गर्म हो गया है कि क्या वाकई ज्योति सिंह चुनावी मंच पर नजर आएंगी?

INDIA गठबंधन की नई रणनीति, निजी विवाद को बना दिया जनआंदोलन?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि INDIA गठबंधन ने एक ऐसा इमोशनल कार्ड खेला है, जो सीधे महिला मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है। इस पूरी कहानी में ‘बलिया की बेटी’ को लेकर भावनात्मक जुड़ाव और महिला सम्मान की बात को प्रमुखता दी जा रही है। पवन सिंह, जो अब तक अपनी स्टार पावर और लोकप्रिया छवि के सहारे चुनावी मैदान में उतरते रहे हैं, अब एक नई चुनौती से जूझते दिख रहे हैं — और वह है उनकी खुद की वैवाहिक ज़िंदगी।

अगर ज्योति सिंह वास्तव में प्रचार में उतरती हैं, तो यह केवल एक राजनीतिक दांव नहीं होगा, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी देगा। इससे न केवल पवन सिंह की साख को झटका लग सकता है, बल्कि यह महिला अधिकारों को लेकर एक नया विमर्श भी खड़ा कर सकता है। गठबंधन इस मुद्दे को ‘नारी स्वाभिमान’ और ‘राजनीतिक जवाबदेही’ के रूप में प्रोजेक्ट कर सकता है।

बिहार की यह कहानी अब सिर्फ एक अभिनेता या नेता की नहीं रह गई है, बल्कि यह उस सामाजिक ढांचे को भी चुनौती दे रही है, जहां सार्वजनिक छवि और निजी जीवन के बीच एक महीन रेखा होती है। पवन सिंह इस समय दो मोर्चों पर लड़ रहे हैं — एक चुनावी मैदान में विपक्ष से, और दूसरा घर के भीतर से उठती उन आवाज़ों से जो अब सार्वजनिक मंच पर आ चुकी हैं। अब देखना यह होगा कि पवन सिंह इस सियासी तूफान से कैसे निपटते हैं और क्या वाकई ज्योति सिंह INDIA गठबंधन की ओर से चुनावी प्रचार करती नजर आएंगी?

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