बिहार के उप मुख्यमंत्री और लखीसराय विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार विजय कुमार सिन्हा ने मतगणना शुरू होने से ठीक पहले मंदिर पहुँचकर विशेष पूजा-अर्चना की। चुनावी माहौल की गरमी के बीच उनका यह धार्मिक कदम राजनीतिक हलकों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। विजय सिन्हा ने मंदिर में माथा टेककर राज्य में एनडीए की जीत और स्थिर सरकार के लिए प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि “जनता का आशीर्वाद पहले भी मिला है, और इस बार भी बिहार का जनादेश एनडीए सरकार के पक्ष में ही आएगा।”
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि पूजा-अर्चना का यह संदेश केवल धार्मिक विश्वास का प्रतीक नहीं, बल्कि उनके आत्मविश्वास का भी संकेत है। मतदान के बाद जिस प्रकार की ऊर्जा एनडीए खेमे में देखी जा रही है, उसके बीच विजय सिन्हा का यह कदम समर्थकों में सकारात्मक संदेश देने वाला साबित हुआ है। वहीं विपक्षी खेमे में इसे लेकर अलग-अलग व्याख्याएँ की जा रही हैं, परंतु जनता की नजर अब केवल इस बात पर है कि वोटों का फैसला किस दिशा में जाता है।
पूजा के बीच राजनीतिक संदेश — ‘जनता ने विकास के लिए मतदान किया है’
मंदिर से बाहर आते ही विजय सिन्हा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बिहार के लोगों ने इस बार विकास, स्थिरता, और सुरक्षा के मुद्दों पर भरोसा दिखाया है। उन्होंने दावा किया कि जनता ने जातिवाद और भ्रम फैलाने वाली राजनीति को नकार कर एनडीए के पक्ष में वोट डाले हैं। सिन्हा का कहना था कि एनडीए सरकार ने पिछले वर्षों में जिस प्रकार बुनियादी ढाँचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक योजनाओं को मजबूत किया, उसी का लाभ आज चुनाव में दिखाई देगा।
उन्हें पूरी उम्मीद है कि लखीसराय समेत अधिकांश सीटों पर एनडीए को निर्णायक बढ़त मिलेगी। उन्होंने बताया कि चुनाव प्रचार के दौरान जनता ने उन्हें जिस गर्मजोशी से स्वीकार किया, वह इस बात का संकेत था कि लोग बदलाव नहीं, बल्कि निरंतरता चाहते हैं। उन्होंने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि “विकास पर आधारित राजनीति को हराना किसी के बस में नहीं है।”
उनका यह विश्वास मतगणना से पहले एनडीए के अंदरूनी आत्मविश्वास को और बढ़ाता दिख रहा है। समर्थक मान रहे हैं कि पूजा-पाठ से सकारात्मक माहौल का संदेश जाएगा, जबकि विरोधी इसे केवल ‘चुनावी रणनीति’ बता रहे हैं।
काउंटिंग से पहले बिहार में सस्पेंस गहराया, जनता की निगाहें आज के फैसले पर टिकीं
विजय सिन्हा की यह पूजा न केवल व्यक्तिगत आस्था का विषय है, बल्कि चुनावी गणित के बीच सस्पेंस को और गहरा करती है। बिहार में इस बार मतदान अभूतपूर्व रहा और कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला बना। ऐसे में हर उम्मीदवार अपनी जीत के लिए दुआएँ माँग रहा है, परंतु विजय सिन्हा जैसे बड़े चेहरे का मंदिर जाना एक बड़ा राजनीतिक संकेत माना जा रहा है।
आज की मतगणना के रुझान यह बताएँगे कि क्या जनता ने उनके नेतृत्व और दावों पर भरोसा जताया है या विपक्ष की रणनीति कारगर साबित हुई है। लखीसराय सीट इस बार राजनीतिक रूप से बेहद अहम है, क्योंकि यहाँ से विजय सिन्हा न केवल उम्मीदवार हैं, बल्कि राज्य की सत्ता में प्रमुख भूमिका निभाने वाले चेहरे भी हैं। यदि वे जीतते हैं, तो यह एनडीए के लिए बड़ा मनोबल होगा; लेकिन यदि मुकाबला कड़ा रहा, तो यह बिहार की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे सकता है।
काउंटिंग के पहले ही पटना से लेकर लखीसराय तक राजनीतिक वातावरण चरम पर पहुँच चुका है। समर्थक मंदिरों में प्रार्थना कर रहे हैं, कार्यकर्ता जीत के दावे कर रहे हैं, और विपक्ष भी अपनी ओर से जीत की उम्मीद जता रहा है। लेकिन जनता, मीडिया और पूरा राज्य—अब सिर्फ एक ही सवाल पर टिका है: क्या पूजा-पाठ के बाद विजय सिन्हा की ‘विजय’ पक्की होगी?
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