Sunday, December 7, 2025
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आखिर बिहार चुनाव में क्या छुपा था? RJD के नए आरोपों ने बढ़ाई राजनीतिक बेचैनी!

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बिहार चुनाव 2025 के नतीजों के बाद माहौल राजनीतिक रूप से असामान्य रूप से गर्म हो गया है। चुनावी परिणामों में निराश दिख रही RJD ने उन सीटों के आंकड़े सामने रखे हैं, जहां हार बेहद कम अंतर से हुई। तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली पार्टी का कहना है कि कुछ सीटों पर पोस्टल बैलेट को ‘असामान्य रूप से’ बड़ी संख्या में खारिज किया गया, जिससे महागठबंधन नुकसान में रहा।

RJD का आरोप है कि यदि सभी वैध पोस्टल बैलेट को गिना जाता, तो कम अंतर वाली कई सीटों पर जीत की दिशा बदल सकती थी। पार्टी ने इसे “लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सीधा हमला” बताते हुए विस्तृत जांच की मांग की है।

तीन सीटें बनीं विवाद का केंद्र—आंकड़ों ने बढ़ाई शंका

RJD द्वारा जारी किए गए विवरण के मुताबिक नबीनगर, अगिआंव और संदेश विधानसभा सीटों पर रिजेक्टेड पोस्टल बैलेट की संख्या हार के अंतर से कहीं ज्यादा पाई गई।

नबीनगर: RJD उम्मीदवार 112 वोट से हारे, लेकिन 132 पोस्टल बैलेट रद्द हुए।

अगिआंव: CPI(ML) प्रत्याशी 95 वोटों से पीछे रहे, जबकि 175 बैलेट खारिज किए गए।

संदेश: RJD सिर्फ 27 वोट से हारी, लेकिन यहां 360 वोट रिजेक्ट हुए।

RJD के मुताबिक यह आंकड़े “साधारण गलती” की ओर नहीं, बल्कि “सुव्यवस्थित गड़बड़ी” की ओर इशारा करते हैं। पार्टी का कहना है कि इतने अधिक बैलेट रिजेक्ट होने पर चुनाव आयोग को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए था।

ECI की प्रतिक्रिया, आरोप ‘भ्रम फैलाने’ की कोशिश

इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने RJD के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि पूरी प्रक्रिया उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में की गई थी। आयोग का कहना है कि पोस्टल बैलेट तभी अमान्य घोषित होते हैं जब वे नियमों के अनुरूप न हों, जैसेयेगलत हस्ताक्षर, क्षतिग्रस्त लिफाफा या एक से अधिक मार्क लगना।

ECI का कहना है कि चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की धांधली तकनीकी रूप से संभव ही नहीं है और राजनीतिक दलों को यह समझना चाहिए कि हर बैलेट, चाहे ईवीएम का हो या पोस्टल का, एक ही मानकों के तहत गिना जाता है। आयोग ने विपक्ष के उन बयानों को भी गलत करार दिया, जिनमें EVM में “पहले से वोट भरे होने” जैसी बातें कही गई थीं।

राजनीतिक तापमान उफान पर, क्या बनेगा यह 2025 का बड़ा मुद्दा?

RJD के इन बयानों ने बिहार में पहले से ही तीखी हो चुकी राजनीति में नई चिंगारी डाल दी है। तेजस्वी यादव ने घोषणा की है कि पार्टी इसे सिर्फ चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा का सवाल मान रही है। महागठबंधन के अन्य दल भी इस विवाद में कूद पड़े हैं और दावा कर रहे हैं कि पोस्टल बैलेट की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगे हैं।

दूसरी ओर, NDA इन आरोपों को हार की निराशा बताते हुए कह रहा है कि RJD बार-बार चुनावी प्रक्रिया पर उंगली उठाकर जनता का विश्वास कम करने की कोशिश कर रही है।
यह विवाद आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा बन सकता है, क्योंकि दोनों पक्ष अब इस बहस को सड़कों से सोशल मीडिया तक ले जाने की तैयारी में हैं।

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