उत्तराखंड की पर्यटन नगरी नैनीताल का सफर अब पहले जैसा आसान नहीं रहेगा। सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़ा कदम उठाते हुए दिसंबर 2025 से ग्रीन टैक्स लागू करने की घोषणा की है। इस फैसले के तहत अब बाहर से आने वाले वाहनों, खासकर चार-पहिया पर्यटक वाहनों को शहर में प्रवेश के लिए अतिरिक्त शुल्क देना होगा। यह टैक्स लगभग 880 रुपये तक तय किया गया है, जिसमें वाहन के प्रकार और इंजन क्षमता के अनुसार राशि बदल सकती है।
सरकार का कहना है कि यह टैक्स प्रदूषण नियंत्रण और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है, ताकि झीलों का पानी और आसपास की हवा स्वच्छ बनी रहे।
प्रदूषण रोकने का प्रयास या पर्यटकों पर बोझ?
दुनिया के सबसे खूबसूरत हिल-स्टेशनों में गिना जाने वाला नैनीताल हर साल लाखों सैलानियों का स्वागत करता है, लेकिन बढ़ते ट्रैफिक और प्रदूषण ने यहां की वादियों की शांति को प्रभावित किया है। इसीलिए राज्य सरकार ने तय किया है कि अब शहर में प्रवेश से पहले वाहनों की जांच होगी और ग्रीन टैक्स का भुगतान अनिवार्य रहेगा।
प्रशासन के अनुसार, टैक्स से प्राप्त राशि पर्यावरण संरक्षण कार्यों—जैसे सड़क किनारे वृक्षारोपण, झीलों की सफाई, सोलर-लाइटिंग और कार्बन नियंत्रण उपकरणों—पर खर्च की जाएगी।
हालांकि स्थानीय व्यापारियों और होटल संचालकों का मानना है कि यह निर्णय पर्यटन सीजन में आगंतुकों की संख्या घटा सकता है, जिससे कारोबार पर असर पड़ेगा।
कौन देगा टैक्स, कौन रहेगा छूट में?
नई नीति के अनुसार, राज्य के बाहर से आने वाले निजी चार-पहिया वाहन, टैक्सी और ट्रैवल एजेंसियों के वाहन टैक्स के दायरे में आएंगे। जबकि राज्य के पंजीकृत वाहन, दो-पहिया वाहन, इलेक्ट्रिक कारें और सीएनजी वाहन इस टैक्स से फिलहाल मुक्त रखे गए हैं।
नैनीताल नगर परिषद ने बताया है कि टैक्स वसूली के लिए शहर की सीमाओं पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे लगाए जाएंगे, जो वाहन प्रवेश की डिजिटल रिकॉर्डिंग करेंगे। इस तकनीक से पारदर्शिता और ऑनलाइन भुगतान व्यवस्था भी सुनिश्चित होगी।
पर्यटन विभाग का दावा है कि इससे शहर में प्रवेश करने वाले वाहनों की संख्या नियंत्रित होगी, जिससे यातायात जाम कम होगा और पर्यावरण पर दबाव घटेगा।
जनता और यात्रियों की प्रतिक्रिया
नैनीताल में स्थानीय लोगों का कहना है कि शहर की सड़कों और हवा पर बढ़ते वाहन-दबाव ने पहले ही समस्या खड़ी कर दी है, इसलिए यह कदम लंबे समय में फायदेमंद साबित हो सकता है। वहीं, नियमित रूप से घूमने आने वाले पर्यटक इसे ‘सफर महंगा’ बताते हैं।
कुछ यात्रियों का मानना है कि अगर टैक्स से वाकई पर्यावरण सुधरेगा और ट्रैफिक कम होगा, तो यह भुगतान उचित है, लेकिन सरकार को साफ और पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित करना होगा।
अब देखना यह होगा कि क्या यह ‘ग्रीन टैक्स’ वास्तव में हरियाली लौटाने में मदद करेगा या यह सिर्फ पर्यटकों की जेब हल्की करने वाला फैसला बनकर रह जाएगा।
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