Basti News: बस्ती में फर्जी मुकदमों के सहारे लोगों से वसूली करने वाले अमरनाथ गिरोह का राज़ अब खुलकर सामने आ चुका है। अमरनाथ और उसकी तीन महिला साथियों की गिरफ्तारी ने साबित कर दिया कि किस तरह संगठित तरीके से यह नेटवर्क काम करता था। महिलाएँ झूठे आरोप लगातीं, मुकदमे दर्ज होते और फिर लाखों रुपये लेकर “समझौता” किया जाता। यह तरीका इतना योजनाबद्ध था कि कई लोग चुपचाप शिकार बनते चले गए।
दिलीप पाण्डेय गिरफ्तारी से बाहर क्यों?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि गिरोह का अहम किरदार दिलीप पाण्डेय अब भी गिरफ्त से बाहर क्यों है। उसका नाम न केवल एफआईआर-365/2024 में साफ़ तौर पर दर्ज है, बल्कि बलरामपुर एएसपी की जांच रिपोर्ट में भी उसकी संलिप्तता उजागर हो चुकी है। इसके बावजूद गिरफ्तारी न होना लोगों के मन में संदेह पैदा कर रहा है। क्या वजह है कि पुलिस सिर्फ कुछ आरोपियों को पकड़कर संतोष कर रही है और दिलीप को छोड़ रही है?
सत्ता, दबाव और जनता की बेचैनी
जनता का मानना है कि बस्ती पुलिस किसी दबाव में काम कर रही है। चर्चाओं में यह भी सामने आ रहा है कि दिलीप का उठना-बैठना प्रशासनिक अधिकारियों के बीच है, यही वजह है कि अब तक उस पर हाथ नहीं डाला गया। पीड़ित पक्ष ने डीआईजी तक पत्र भेजा है, लेकिन नतीजा अब भी अधूरा है। सवाल साफ़ है—जब सबूत और नाम दर्ज होने के बावजूद गिरफ्तारी टल रही है, तो क्या कानून से ऊपर “सुरक्षा कवच” दिलीप पाण्डेय को बचा रहा है?
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