शनिवार सुबह करीब 9 बजे उत्तर प्रदेश के मुंदीपुर मानिकपुर गांव में अचानक हड़कंप मच गया, जब पुलिस की चार टीमें तस्कर राजेश मिश्रा के घर पहुंचीं। 22 पुलिसकर्मी चार गाड़ियों में सवार होकर पहुंचे और पूरे इलाके को घेर लिया। राजेश मिश्रा का नाम इलाके में गांजा और स्मैक तस्करी के लिए कुख्यात है। उसके खिलाफ कुल 14 मुकदमे दर्ज हैं और उस पर गैंगस्टर एक्ट भी लगाया गया है। पुलिस को शक था कि उसके घर में तस्करी से जुड़ा बड़ा कैश छिपा है।
झोले और बोरियों में मिले नोट
जब पुलिस ने घर की तलाशी शुरू की तो एक-एक कमरे को खंगाल डाला गया। दीवारों के पीछे, अलमारी के नीचे और पन्नियों में छिपे बंडल जब बाहर निकाले गए तो पुलिसकर्मियों की आंखें खुली रह गईं। झोले, बोरे और पॉलिथिन में भरे नोटों का अंबार लगा था। इनमें ज्यादातर 100, 50 और 20 रुपये के नोट थे। नोट इतने ज्यादा थे कि गिनने के लिए मशीनें मंगानी पड़ीं। कई पुलिसकर्मी गिनते-गिनते थक गए, फिर भी रकम पूरी नहीं हुई।
जांच के दौरान पुलिस को घर के एक कोने में बने छोटे तहखाने का सुराग मिला। जैसे ही उसे खोला गया, अंदर से भी नकदी से भरे थैले मिले। इस तहखाने का इस्तेमाल राजेश मिश्रा लंबे समय से कर रहा था। एसपी दीपक भूकर की अगुवाई में टीम ने पूरे घर की वीडियोग्राफी कराई ताकि कोई रकम छिप न सके। नोटों की गिनती शाम तक जारी रही।
जेल में बंद तस्कर की कमाई से खुला बड़ा नेटवर्क
राजेश मिश्रा इस समय जेल में बंद है, लेकिन पुलिस को शक है कि बाहर उसका गिरोह अब भी सक्रिय है। बरामद रकम से अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह पैसा गांजा और स्मैक की बिक्री से जुड़ा हुआ है। पुलिस अब इस कैश के जरिए उसके नेटवर्क तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। बताया जा रहा है कि राजेश मिश्रा नेपाल और बिहार के रास्ते गांजा की बड़ी खेप यूपी में सप्लाई करवाता था।
छापेमारी के बाद पुलिस ने सभी नकदी थाने में सील कर दी और आयकर विभाग को सूचना भेज दी। अब इस रकम की जांच की जाएगी कि यह कितनी वैध या अवैध है। सूत्रों के मुताबिक, जब्त रकम लगभग 2 करोड़ रुपये के आसपास है। पुलिस टीम को इसके अलावा कुछ दस्तावेज और मोबाइल रिकॉर्ड भी मिले हैं, जो तस्करी नेटवर्क की दिशा में अहम सुराग दे सकते हैं।
