बिहार की सियासत इन दिनों फिर गर्म हो गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के पहले ही दिन ऐसा बयान दे दिया, जिसने पूरे राजनीतिक माहौल में तूफान खड़ा कर दिया है। राहुल ने कहा— “अगर आप नरेंद्र मोदी से कहें कि वोट के बदले नाचिए, तो वो मंच पर आकर नाचेंगे भी।”
इस बयान के साथ ही मुजफ्फरपुर की रैली का माहौल कुछ ही मिनटों में जंग का मैदान बन गया। मंच पर उनके साथ राजद नेता तेजस्वी यादव मौजूद थे, जिन्होंने राहुल के हर शब्द पर हामी भरते हुए जनता से बीजेपी और जेडीयू को उखाड़ फेंकने की अपील की।
राहुल ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों पर एक साथ हमला बोलते हुए कहा कि “नीतीश कुमार ने 20 साल में पिछड़ों के लिए कुछ नहीं किया और अब उनका रिमोट कंट्रोल बीजेपी के हाथ में है।” हालांकि यह बयान जितना आक्रामक था, उतना ही सस्पेंस भी छोड़ गया—क्या राहुल का यह अंदाज़ जनता को भाएगा या उल्टा असर डालेगा?
बीजेपी का पलटवार और बयान का असर
राहुल गांधी के इस तीखे बयान के कुछ घंटों के भीतर ही बीजेपी की प्रतिक्रिया आ गई। पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि राहुल की भाषा न सिर्फ अशोभनीय है, बल्कि यह प्रधानमंत्री के साथ-साथ करोड़ों मतदाताओं का भी अपमान है। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, “राहुल गांधी की भाषा एक लोकल गुंडे जैसी है, जो देश के लोकतंत्र और मतदाताओं का मजाक उड़ाने की कोशिश कर रहा है।”
Rahul Gandhi speaks like a “Local Goon”
Rahul Gandhi has openly insulted every poor of India, & Bihar who has voted for PM @narendramodi ji!
Rahul Gandhi has mocked voters, and Indian democracy! pic.twitter.com/qRDfDXdBJP
— Pradeep Bhandari(प्रदीप भंडारी)🇮🇳 (@pradip103) October 29, 2025
पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि राहुल गांधी हर चुनाव में सीमाओं से परे जाकर बयानबाजी करते हैं, जिससे उनके खुद के नेतृत्व पर सवाल खड़े होते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राहुल का यह बयान विपक्ष को उत्साहित करने वाला जरूर है, लेकिन आम मतदाता में इसका असर उल्टा पड़ सकता है। बीजेपी अब इसे अपने पक्ष में “पीएम के सम्मान” के मुद्दे के रूप में भुनाने की कोशिश में है।
नीतीश, छठ और चुनावी समीकरण
राहुल गांधी ने अपने भाषण में सिर्फ मोदी नहीं, बल्कि छठ पूजा और यमुना नदी की सफाई जैसे संवेदनशील मुद्दों को भी छुआ। उन्होंने कहा कि “मोदी जी को छठ पूजा से कोई मतलब नहीं, वो बस कैमरे के लिए अपने बनाए हुए स्विमिंग पूल में स्नान करते हैं, जबकि दिल्ली में श्रद्धालु प्रदूषित यमुना में पूजा कर रहे हैं।”
इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के खिलाफ और पक्ष में दो गुट बन गए। बीजेपी समर्थकों ने इसे धार्मिक भावनाओं से जुड़ा अपमान बताया, जबकि कांग्रेस समर्थकों ने इसे “जनता की पीड़ा की आवाज़” करार दिया।
नीतीश कुमार पर भी राहुल ने वार किया कि “दो दशकों की सत्ता में उन्होंने पिछड़े वर्गों को सिर्फ वादे दिए, लेकिन हक नहीं।” राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह बयानबाज़ी आने वाले दिनों में बिहार चुनाव का टोन तय करेगी। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या राहुल का यह ‘साहसिक हमला’ विपक्ष को एकजुट करेगा या बीजेपी को और मजबूत बना देगा।
