बिहार की सियासत में भोजपुरी तड़का लग चुका है। छपरा से आरजेडी के उम्मीदवार बने भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव ने बीजेपी सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ पर सीधा निशाना साधा है। एबीपी न्यूज़ से बातचीत में खेसारी ने कहा कि “जबसे वो (निरहुआ) बीजेपी में गए हैं, तबसे उन्हें मुसलमानों से नफरत हो गई है।” खेसारी ने आगे कहा, “मैं आज भी वही इंसान हूं जो गांव से निकला था। मुझे हिंदू, मुस्लिम, सिख और इसाई—सबका प्यार मिला है। राजनीति का मतलब नफरत फैलाना नहीं, बल्कि सबको साथ लेकर चलना है।”
छपरा पहले से हॉट था, मेरे आने से नही
खेसारी लाल यादव ने यह भी कहा कि छपरा में मुकाबला पहले से ही दिलचस्प था। “छपरा पहले से हॉट सीट थी, मेरे आने से नहीं हुई,” उन्होंने कहा। भोजपुरी स्टार ने बताया कि छपरा के लोगों की सबसे बड़ी समस्या पानी निकासी की है, और यह मुद्दा सालों से नजरअंदाज किया जा रहा है।
उन्होंने दावा किया, “अगर छपरा में ड्रेनेज सिस्टम ठीक कर दिया जाए तो यहां व्यापार, रोज़गार और पर्यटन—तीनों बढ़ सकते हैं। लेकिन विकास के नाम पर यहां सिर्फ भाषण हुए हैं, काम नहीं।”
“मैं फिल्मों में नहीं, जनता के बीच स्टार हूं”
खेसारी ने कहा कि उन्हें जनता का प्यार फिल्मों से नहीं, उनके दिलों से मिला है। “लोग मुझे ‘लालू जी का लाल’ कहें या ‘भोजपुरी का बेटा’, मुझे फर्क नहीं पड़ता। मेरे लिए हर धर्म, हर मजहब बराबर है। जब मैं मंच पर गाता हूं, तो भीड़ में हर धर्म के लोग झूमते हैं, यही असली भारत है।”
उन्होंने कहा कि राजनीति में उतरने का मकसद शोहरत नहीं, बल्कि जनता के लिए कुछ करना है। “मैं अपने लोगों के बीच हूं, कोई फैंसी पॉलिटिशियन नहीं। मैं गांव का बेटा हूं, और गांव वालों का दर्द जानता हूं,” उन्होंने जोड़ा।
छपरा का विकास ही मेरी राजनीति का एजेंडा
खेसारी ने साफ किया कि उनकी राजनीति जाति या धर्म पर नहीं, विकास पर आधारित है। उन्होंने कहा कि छपरा को अगर सही नेतृत्व मिले, तो यह बिहार का सबसे बड़ा व्यापारिक हब बन सकता है। “यहां इंडस्ट्री लग सकती है, युवाओं को नौकरी मिल सकती है, लेकिन अब तक किसी ने कोशिश नहीं की। मैं छपरा का बेटा हूं, और इसे नई पहचान दिलाने आया हूं,” आरजेडी प्रत्याशी ने कहा।
भोजपुरी से संसद तक – जनता का साथ ही मेरी ताकत
खेसारी लाल यादव ने कहा कि आज भोजपुरी इंडस्ट्री के लाखों फैंस उनकी ताकत हैं। “लोग मुझे फिल्मों में हीरो समझते हैं, लेकिन असली हीरो वो जनता है जो अपने गांव, अपने परिवार और अपने धर्म को जोड़े रखती है। मैं सिर्फ उनका आवाज़ बनना चाहता हूं,” उन्होंने कहा।
उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। समर्थक इसे “साहसिक बयान” बता रहे हैं, वहीं विरोधी इसे “राजनीतिक बयानबाजी” कह रहे हैं। लेकिन एक बात साफ है — खेसारी लाल यादव ने अब सियासत की पिच पर भी सेंचुरी लगाने का मन बना लिया है।
