हिमाचल प्रदेश की राजनीति में बीजेपी ने अचानक एक बड़ा दांव चला है। ‘मिशन 2027’ के तहत प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने 129 सदस्यीय नई कार्यसमिति की घोषणा की है, जिसमें 24 स्थायी आमंत्रित सदस्य और 105 कार्यसमिति सदस्य शामिल हैं। यह बदलाव सिर्फ नामों की फेरबदल नहीं, बल्कि अगले विधानसभा चुनाव की रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है। इस समिति में कई पुराने चेहरों की वापसी, कुछ नए युवाओं का उदय और कुछ वरिष्ठ नेताओं की अनुपस्थिति ने प्रदेश की राजनीति में एक नई चर्चा को जन्म दे दिया है—क्या बीजेपी कोई बड़ा अंदरूनी बदलाव करने जा रही है?
चुनावी तैयारी या शक्ति संतुलन?
नई कार्यसमिति में जातीय, क्षेत्रीय और संगठनात्मक संतुलन को खास तवज्जो दी गई है। मंडी, कांगड़ा, शिमला, और सिरमौर जैसे बड़े जिलों से प्रमुख नेताओं को जगह दी गई है, जिससे स्पष्ट होता है कि पार्टी आगामी चुनावों में हर क्षेत्र को साधना चाहती है। इसके साथ ही महिला, युवा और अनुसूचित जाति वर्ग का प्रतिनिधित्व बढ़ाया गया है, जो सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए किया गया कदम माना जा रहा है। खास बात यह है कि कई ऐसे नाम जो पिछले कार्यकाल में सक्रिय नहीं दिखे, उन्हें इस बार बड़ी ज़िम्मेदारियाँ दी गई हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि संगठन बदलाव की राह पर है और भीतरखाने नए समीकरण तैयार हो रहे हैं।
“2027 दूर नहीं, रणनीति अभी से तैयार!”
डॉ. बिंदल द्वारा घोषित यह कार्यसमिति केवल एक संगठनात्मक ढांचा नहीं बल्कि आने वाले समय की राजनीतिक पटकथा की पहली झलक है। पार्टी आलाकमान की स्वीकृति के बाद बनी इस समिति से यह भी स्पष्ट होता है कि बीजेपी अब डैमेज कंट्रोल मोड से बाहर निकलकर मिशन मोड में आ गई है। 2022 के विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर होने के बाद पार्टी अब एक बार फिर वापसी के लिए ज़मीन तैयार कर रही है। यह कार्यसमिति न केवल कार्यकर्ताओं को ऊर्जा देने का प्रयास है, बल्कि संगठन में अनुशासन, पारदर्शिता और ज़मीनी पकड़ को मज़बूत करने की दिशा में भी बड़ा कदम है।
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