फर्रुखाबाद के नवाबगंज क्षेत्र में शुक्रवार को एक अनोखा मामला सामने आया, जिसने शादी की खुशियां तनाव में बदल दीं। स्थानीय मोहल्ले में रहने वाली युवती की शादी जनपद एटा, कोतवाली अलीगंज के एक गांव से आई बरात के साथ धूमधाम से हुई। बैंडबाजे के बीच द्वारचार सम्पन्न हुआ और स्टेज पर दुल्हन–दूल्हे ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाई। शनिवार तड़कते ही भांवरों की रस्म भी पूरी कर दी गई। सबकुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन कलेवा (रुखसती से पहले भोजन) के समय एक छोटी-सी बात ने माहौल बदल दिया।
दिव्यांग दूल्हा चारपाई पर न बैठा, मामी ने जताई नाराजगी
जानकारी के अनुसार, दूल्हे के कूल्हे में चोट होने के कारण वह चारपाई पर बैठने में असमर्थ था। इसी वजह से उसने कलेवा के दौरान चारपाई पर बैठने की बजाय कुर्सी का सहारा लिया। दुल्हन की मामी ने परंपरा और रस्म का हवाला देते हुए दूल्हे से चारपाई पर बैठने की मांग की, लेकिन दूल्हा अपनी तकलीफ के कारण तैयार नहीं हुआ। बात मामूली लग रही थी, लेकिन जल्द ही दोनों पक्षों में बहस शुरू हो गई और माहौल गरमाने लगा। इसी तनातनी ने शादी की रुखसती पर रोक लगा दी।
दुल्हन ने साथ जाने से किया इनकार, परिजन रहे हैरान
चारपाई वाली बहस इतनी बढ़ गई कि दुल्हन ने साफ शब्दों में दूल्हे के साथ जाने से मना कर दिया। दुल्हन का कहना था कि अगर वह परंपरा नहीं निभा सकता, तो आगे कैसे साथ निभाएगा। परिजनों ने काफी मनाने की कोशिश की, लेकिन दुल्हन अपने फैसले पर अड़ी रही। मामला बिगड़ता देख दोनों परिवार थाने पहुंचे, जहां घंटों तक बातचीत का दौर चलता रहा। इस दौरान दूल्हा बार-बार रोता रहा और दुल्हन को साथ चलने की गुहार लगाता रहा, लेकिन उसका मन नहीं बदला।
मनाने की हर कोशिश नाकाम, दूल्हा अकेला लौट गया
थाने में बैठे दोनों परिवारों ने कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन दुल्हन अपने फैसले पर अडिग रही। पुलिस ने भी आपसी सहमति से समाधान निकालने का प्रयास किया, पर स्थिति में सुधार नहीं हुआ। आखिरकार रुखसती नहीं हो सकी और दूल्हे को बिना दुल्हन के ही अपने गांव लौटना पड़ा। घटना की चर्चा पूरे इलाके में है, क्योंकि एक छोटी-सी रस्म के विवाद ने एक पूरी शादी की खुशियों को तनाव में बदल दिया। फिलहाल दोनों पक्ष अपने-अपने घर लौट गए हैं और आगे क्या होगा, यह अभी साफ नहीं है।
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