अलीगढ़ में हाल ही में CM योगी के एक मंत्री ने बड़ा बयान दिया, जिसने शिक्षा और राजनीति जगत में भारी हलचल मचा दी है। मंत्री ने कहा कि “मदरसे-मस्जिद से निकलते हैं आतंकी” और इस तरह के शिक्षण संस्थान आतंकवाद फैलाने में भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने विशेष रूप से अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) का नाम लिया और कहा कि यहां से भी बुरहान बानी जैसे आतंकवादी निकले हैं। उनके इस बयान के बाद AMU प्रशासन और छात्र समुदाय में गुस्सा और चिंता दोनों बढ़ गई है।
AMU पर उठे सवाल
मंत्री ने यह भी कहा कि AMU को लेकर सख्त जांच की जानी चाहिए। उनके अनुसार, यूनिवर्सिटी में छात्रों के बीच असामाजिक और हिंसक गतिविधियों पर नजर रखी जानी चाहिए। इस बयान ने छात्रों और शिक्षकों में सुरक्षा और प्रतिष्ठा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने फिलहाल बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन छात्र संघ ने इसे जुबानी हमला और स्टीरियोटाइप करार दिया है।
सियासी और सामाजिक प्रतिक्रिया
मंत्री के बयान के बाद सियासी गलियारों में भी तीखी प्रतिक्रियाएं आईं। विपक्ष ने इसे मुस्लिम समुदाय और AMU के छात्रों के खिलाफ भेदभावपूर्ण और अपमानजनक बताया। वहीं समर्थक इसे आतंकवाद से निपटने के लिए जरूरी चेतावनी मान रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी बयान को लेकर बहस तेज हो गई है। कुछ लोग मंत्री के समर्थन में हैं, जबकि कुछ ने इसे शिक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ करार दिया। यह मामला राज्य और देश की सुरक्षा नीति, शिक्षा संस्थानों की भूमिका और सामाजिक सामंजस्य पर सवाल उठाता है।
भविष्य की चुनौती और समाधान
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के बयान सुरक्षा और शिक्षा के संतुलन पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं। AMU और अन्य शिक्षण संस्थानों को अपने छात्रों में सकारात्मक और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों की रोकथाम सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही सरकार को यह भी ध्यान रखना होगा कि कोई भी जांच या कार्रवाई समुदाय को निशाना बनाए बिना, कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया के तहत हो। इस विवाद ने साफ कर दिया है कि भारत में शिक्षा, सुरक्षा और धर्म के बीच संतुलन बनाए रखना अब पहले से ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है।
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