बिहार विधानसभा चुनाव जैसे ही अपने अंतिम नतीजों तक पहुंचे, उसी के साथ कई राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ भी तेज होने लगीं। इन्हीं के बीच संत जगद्गुरु रामभद्राचार्य का बयान सबसे अधिक चर्चा में आ गया। उन्होंने महागठबंधन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि “उन्हें उनकी करनी के अनुसार उचित सजा मिली है।” यह बयान उस समय दिया गया जब वह अपनी ‘सनातन हिंदू एकता पदयात्रा’ के अंतिम पड़ाव पर सभा को संबोधित कर रहे थे। उनके इस कथन ने राजनीतिक गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक नई बहस को जन्म दे दिया है, क्योंकि यह बयान सीधे चुनावी परिणामों पर प्रतिक्रिया देने वाला है और इससे राजनीतिक समीकरणों की टोन पूरी तरह बदलती दिखाई दे रही है।
‘ओम शांति नहीं, अब ओम क्रांति!’—सभा में गूंजा नया संदेश
सभा में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने केवल चुनावी नतीजों पर ही टिप्पणी नहीं की, बल्कि उन्होंने मंच से एक ऐसा संदेश भी दिया जिसने पूरे माहौल को ऊर्जावान बना दिया। उन्होंने कहा कि अब समय ‘ओम शांति’ का नहीं, बल्कि ‘ओम क्रांति-क्रांति-क्रांति’ का है। यह संदेश उन्होंने युवाओं और समाज के हर वर्ग को संबोधित करते हुए दिया।
उनका यह कहना था कि समाज को अब जागृत होने की जरूरत है, क्योंकि परिवर्तन वही करता है जो उठकर खड़ा हो जाता है। उनके इस बयान से साफ झलकता है कि वह सामाजिक परिवर्तन और सक्रियता पर जोर दे रहे हैं। पदयात्रा में मौजूद हजारों लोग उनके इस संदेश से उत्साहित नजर आए और सभा में लंबे समय तक तालियों की गूंज सुनाई देती रही।
हर हिंदू बेटी को झांसी की रानी जैसा साहस
सभा के दौरान उन्होंने समाज और संस्कृति से जुड़े कई मुद्दों पर भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि समय आ गया है जब हर हिंदू कन्या झांसी की रानी की तरह साहसी, निर्भीक और आत्मविश्वासी बने। उनकी नजर में नारी शक्ति राष्ट्र की सबसे बड़ी शक्ति है, और यदि महिलाएँ जागृत हों तो समाज में किसी भी प्रकार का नकारात्मक प्रभाव नहीं रह सकता।
साथ ही उन्होंने कहा कि हर हिंदू घर में तुलसी का पौधा होना चाहिए, क्योंकि यह शुद्धता, सकारात्मकता और आस्था का प्रतीक है। इतना ही नहीं, उन्होंने द्वार पर गाय रखने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि एक गाय का दर्शन करने से 99 करोड़ देवी-देवताओं के दर्शन का पुण्य मिलता है। उनके इस कथन ने सभा में आध्यात्मिकता और धार्मिक भावनाओं की गहराई को एक नया आयाम दे दिया।
रामभद्राचार्य के बयान ने क्यों मचाई हलचल?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जगद्गुरु रामभद्राचार्य जैसे बड़े संत का चुनाव नतीजों पर प्रत्यक्ष संदेश देना अपने आप में महत्वपूर्ण है। उनके शब्द सामाजिक और धार्मिक स्तर पर बड़ा प्रभाव रखते हैं, और ऐसे में यह बयान महागठबंधन के नेताओं के लिए एक स्पष्ट संकेत माना जा रहा है कि जनता ने अपने मतदान के जरिए क्या संदेश दिया है।
दूसरी ओर, उनकी “क्रांति” वाली अपील ने युवाओं में जोश भरने का काम किया है। यह केवल चुनाव नतीजों की प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि समाज को एक नए मोड़ पर ले जाने का आह्वान भी है। राजनीतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक तीनों स्तरों पर उनका यह बयान आने वाले दिनों तक चर्चा में रहने वाला है।
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