रामपुर में चल रहे बहुचर्चित पासपोर्ट और जन्म प्रमाण पत्र मामले में सपा नेता आज़म खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को कोर्ट ने बड़ी सज़ा सुनाई है। उन पर दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र और दो पासपोर्ट बनवाने का गंभीर आरोप था। लंबे समय से चल रही कानूनी प्रक्रिया के बाद MP-MLA मजिस्ट्रेट कोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए अब्दुल्ला आजम को 7 साल की सख्त कैद और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इस फैसले के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है।
कानून से ऊपर कोई नहीं: न्यायालय
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला सिर्फ दस्तावेज़ों में हेरफेर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पहचान और सरकारी प्रक्रियाओं से जुड़ी गंभीर अनियमितता है। अदालत ने कहा कि किसी भी नागरिक को दोहरी पहचान बनाकर सरकारी दस्तावेज़ हासिल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। न्यायालय ने इसे कानून का उल्लंघन बताते हुए कठोर अब्दुल्ला आजम को सज़ा सुनाई, ताकि भविष्य में कोई भी ऐसा अपराध करने की हिम्मत न करे।
कब शुरू हुआ विवाद?
अब्दुल्ला आजम पर 2019 में दो जन्म प्रमाण पत्र रखने और उनकी मदद से पासपोर्ट बनवाने का आरोप लगा था। रिपोर्ट्स के अनुसार, दो अलग-अलग तारीखों के जन्म प्रमाण पत्र मिलने के बाद जांच शुरू हुई। बाद में पता चला कि इन्हीं दस्तावेज़ों के आधार पर दो बार पासपोर्ट भी बनाए गए थे। इस पूरे मामले में कई स्तरों पर जांच हुई और अंततः मामला कोर्ट तक पहुंचा। कई साल की सुनवाई के बाद अब फैसला सामने आया है।
सपा खेमे में चिंता, विपक्ष ने किया हमला
कोर्ट के फैसले के बाद राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी इसे राजनीतिक प्रतिशोध बता रही है, जबकि विपक्ष ने शासन और कानून व्यवस्था का उदाहरण बताते हुए इस फैसले का स्वागत किया है। वहीं, समर्थकों में निराशा और विरोधियों में उत्साह देखा जा रहा है। अब्दुल्ला आज़म आगे इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगे या नहीं, इस पर सबकी निगाहें टिक गई हैं।
