प्रयागराज के एक सरकारी अस्पताल का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक महिला प्रसव पीड़ा से कराहती नजर आ रही है, और उसके पास खड़ी सास उसे चुप रहने की हिदायत देती दिख रही है। वीडियो में सास का कहना है—“चुप हो जा, मुंह तोड़ दूंगी”—जो सुनते ही वहां मौजूद दूसरे मरीजों और स्टाफ के होश उड़ गए। बताया जा रहा है कि बहू प्रसव वेदना के दौरान जोर-जोर से दर्द में चीख रही थी, जिसके बाद सास ने उसे डांट दिया। लेकिन इस घटना को लेकर अब सोशल मीडिया पर सास की जमकर आलोचना हो रही है।
वीडियो वायरल होने के बाद लोगों ने इसे महिला संवेदनाओं पर हमला बताया है। कई यूजर्स ने लिखा कि जब एक औरत दूसरी औरत के दर्द को नहीं समझती, तब समाज में संवेदनशीलता की उम्मीद कैसे की जा सकती है। वहीं डॉक्टरों ने भी कहा कि प्रसव के समय मानसिक सहयोग और भावनात्मक समर्थन सबसे जरूरी होता है। डांटने या डराने से मां और बच्चे दोनों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
अस्पताल प्रबंधन भी आया हरकत में, जांच की मांग तेज
इस वीडियो के सामने आने के बाद प्रयागराज जिला अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह वीडियो संभवतः लेबर वार्ड में किसी परिजन ने बनाया और सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया। जांच टीम अब यह पता लगाने में जुटी है कि वीडियो किस दिन का है और सास-बहू कौन हैं। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि लेबर रूम में परिजनों का प्रवेश सीमित होता है, इसलिए इस तरह की घटना कैसे हुई, यह भी देखा जा रहा है।
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वहीं कुछ महिला संगठनों ने भी इस घटना को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि इस वीडियो ने समाज के उस पक्ष को उजागर किया है जहां महिलाओं को ही महिलाओं का दर्द समझने में कमी होती है। उन्होंने मांग की है कि अस्पतालों में महिला परिजनों को काउंसलिंग दी जाए ताकि वे ऐसे संवेदनशील समय में सहयोगी बन सकें, न कि डराने वाली मौजूदगी।
वीडियो के वायरल होने के बाद ट्विटर (X), इंस्टाग्राम और फेसबुक पर हजारों यूजर्स ने सास के खिलाफ गुस्सा जताया। कई लोगों ने कहा कि यह सिर्फ एक पारिवारिक मामला नहीं, बल्कि समाज की मानसिकता का आईना है। किसी ने लिखा “बहू नहीं, बेटी समझो तो सास का नाम मां कहलाएगा।” वहीं कुछ लोगों ने यह भी सुझाव दिया कि अस्पतालों को ऐसे मामलों में परिवारों को शिक्षित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
कई यूजर्स ने डॉक्टरों की तारीफ की, जिन्होंने घटना के बाद महिला को शांत कराया और मेडिकल टीम से सहयोग सुनिश्चित किया। कुछ विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि दर्द के दौरान महिला को डांटना या डराना “डिलीवरी ट्रॉमा” को बढ़ा सकता है। ऐसे में जरूरत है कि परिवारों को प्रसव के समय मानसिक समर्थन की अहमियत समझाई जाए।
घटना ने उठाए कई सवाल
यह वायरल वीडियो सिर्फ एक सास-बहू का झगड़ा नहीं बल्कि भारतीय समाज में महिला-से-महिला संबंधों की जटिलता को भी दिखाता है। सवाल यह है कि जब जीवन देने वाली प्रक्रिया इतनी पीड़ादायक होती है, तो क्या ऐसी स्थिति में एक महिला का दूसरी महिला पर चिल्लाना उचित है? डॉक्टरों का मानना है कि ऐसे समय में सहयोग, शांति और मानसिक ताकत ही मां और बच्चे की सुरक्षा की कुंजी होती है।
