अयोध्या फिर से इतिहास रचने को तैयार है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में इस बार सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि एक नया अध्याय लिखा जाएगा — ध्वजारोहण का। मंदिर के 161 फीट ऊँचे शिखर पर 22 फीट का विशाल धर्मध्वज फहराने की तैयारी जोरों पर है। यह वही स्थल है, जहाँ जनवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा की थी। अब उसी शिखर पर ध्वज चढ़ाना न केवल धार्मिक उत्सव का प्रतीक होगा, बल्कि यह मंदिर आंदोलन की पराकाष्ठा और नई दिशा का संकेत भी माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री और मोहन भागवत होंगे मुख्य अतिथि
25 नवंबर का दिन रामनगरी के लिए फिर ऐतिहासिक होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत इस समारोह के प्रमुख अतिथि होंगे। तीन दिवसीय कार्यक्रम 23 से 25 नवंबर तक चलेगा, जिसमें 25 नवंबर को सबसे बड़ा आयोजन निर्धारित है। सूत्रों के अनुसार, यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक समरसता को समर्पित होगा। कार्यक्रम की थीम ‘समरस समाज – सबका राम, सबका विकास’ रखी गई है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने देशभर से साधु-संतों, वरिष्ठ भाजपा नेताओं और 24 जिलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रण भेजा है।
मंदिर परिसर में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतज़ाम किए जा रहे हैं। अयोध्या में 4 किलोमीटर की परिधि में सुरक्षा रिंग तैयार हो रही है। ड्रोन, कमांडो और आधुनिक कैमरों की निगरानी में हर आने-जाने वाले का रिकॉर्ड रखा जाएगा।
धर्मध्वज बनेगा नए अभियान की शुरुआत
22 फीट लंबे इस धर्मध्वज को खास कपड़े से तैयार किया गया है, जो तेज हवा, धूप और बारिश तीनों का सामना करने में सक्षम है। विशेषज्ञों ने इसकी एरोडायनामिक जांच भी की है ताकि यह शिखर पर वर्षों तक बिना क्षति के लहराता रहे। ध्वज का केसरिया रंग और उस पर अंकित सूर्य चिह्न धर्म, शक्ति और एकता का प्रतीक होगा।
सूत्रों के अनुसार, इस आयोजन के साथ भारतीय जनता पार्टी अपने अगले राष्ट्रीय जनसंपर्क अभियान की शुरुआत भी करेगी। अयोध्या का यह आयोजन चुनावी और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से अहम माना जा रहा है। पूरे शहर को दीपों, भगवा झंडों और रामकथाओं से सजाया जा रहा है। ट्रस्ट की मानें तो यह कार्यक्रम “रामराज्य के आदर्श” को आधुनिक भारत में स्थापित करने की दिशा में अगला कदम होगा।
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