Sunday, November 9, 2025

क्या सच में डायपर पहनाने से बच्चे की किडनी फेल हो सकती है? हेल्थ एक्सपर्ट्स ने दिया जवाब

हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें दावा किया गया कि डायपर पहनाने से बच्चों की किडनी खराब हो जाती है। इस वीडियो में कहा गया कि डायपर की गर्मी और केमिकल्स शरीर में पहुंचकर किडनी फेलियर का कारण बन सकते हैं।
वीडियो देखने के बाद कई पेरेंट्स में दहशत फैल गई। कुछ लोगों ने तो अपने बच्चों को डायपर पहनाना ही बंद कर दिया, जबकि अन्य लोग डॉक्टरों से राय लेने अस्पताल पहुंचने लगे।

डॉक्टरों ने किया खुलासा: अफवाह में नहीं है कोई सच्चाई

दिल्ली के जाने-माने चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. नितिन गुप्ता ने इस वायरल दावे को पूरी तरह झूठ बताया। उन्होंने कहा “डायपर पहनाने से बच्चे की किडनी को कोई नुकसान नहीं होता। हां, गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर स्किन इंफेक्शन या रैशेज हो सकते हैं, लेकिन किडनी पर इसका कोई असर नहीं पड़ता।”

डॉ. गुप्ता के मुताबिक, किडनी की समस्या ज्यादातर इनफेक्शन, डीहाइड्रेशन या जन्मजात कारणों से होती है, न कि डायपर की वजह से।
उन्होंने पेरेंट्स को सलाह दी कि डायपर बदलने के समय का सही ध्यान रखें और बच्चे की स्किन को सूखा व साफ रखें।

डायपर के गलत इस्तेमाल से बढ़ सकता है इंफेक्शन का खतरा

हालांकि डॉक्टरों ने यह भी माना कि अगर डायपर लंबे समय तक नहीं बदला जाए, तो उसमें मौजूद नमी और गंदगी से बैक्टीरिया पनप सकते हैं।
इससे स्किन रैश, फंगल इंफेक्शन या पेशाब में जलन जैसी समस्या हो सकती है।
इसलिए जरूरी है कि हर 3-4 घंटे में डायपर बदलें, और हर बार बदलने से पहले बेबी वाइप्स या गुनगुने पानी से सफाई करें।
बच्चे की स्किन पर डायपर रैश क्रीम लगाने से भी इंफेक्शन से बचाव होता है।

केमिकल वाले डायपर से करें परहेज, चुनें सही ब्रांड

चाइल्ड एक्सपर्ट्स का कहना है कि आजकल बाजार में कई लो-क्वालिटी डायपर ऐसे हैं जिनमें सुगंध या केमिकल यूज़ होते हैं, जो बच्चे की स्किन के लिए हानिकारक हैं।
माता-पिता को चाहिए कि Dermatologically Tested या Hypoallergenic डायपर ही चुनें।
अगर बच्चा लगातार एलर्जी या रैश की शिकायत करे, तो कॉटन नैपी या कपड़े के डायपर का इस्तेमाल करें।

डॉक्टरों की सलाह: किडनी नहीं, हाइजीन पर दें ध्यान

विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों की किडनी बहुत सेंसिटिव होती है, लेकिन डायपर उसका दुश्मन नहीं है।
असल खतरा तब होता है जब बच्चे को पर्याप्त पानी या दूध नहीं दिया जाता, जिससे यूरिन कम बनता है और इंफेक्शन बढ़ता है।
इसलिए पेरेंट्स को चाहिए कि बच्चे को हाइड्रेटेड रखें, डायपर समय पर बदलें, और किसी भी असामान्य लक्षण पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

 

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