घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए पहला नियम मुख्य द्वार से शुरू होता है। वास्तु शास्त्र मानता है कि मुख्य द्वार से ही सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। दरवाजे के आसपास की जगह साफ-सुथरी और आकर्षक होनी चाहिए। सुबह या शाम को हल्की रोशनी (दीपक या लैम्प) जलाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा दरवाजे पर सुंदर तोरण या रंगोली लगाने से भी घर में सकारात्मक वाइब्स आती हैं।
कई विशेषज्ञ बताते हैं कि गंदगी और अव्यवस्था न केवल माहौल को बिगाड़ती है बल्कि मानसिक शांति पर भी असर डालती है। इसलिए मुख्य द्वार को हमेशा साफ-सुथरा और खुला रखें, ताकि सकारात्मक ऊर्जा अंदर तक पहुंच सके।
कमरों में हवा, रोशनी और पौधों से बढ़ती है सकारात्मकता
बैठक कक्ष और रसोईघर घर का केंद्र माने जाते हैं। वास्तु के अनुसार इन दोनों जगहों में प्रकाश और हवा का अच्छा प्रवाह होना चाहिए। प्राकृतिक रोशनी से न केवल जगह खुली और उजली दिखती है बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी यह तनाव को कम करती है। हल्के पेस्टल रंग जैसे क्रीम, हल्का पीला या हल्का हरा शांति और ताजगी का अनुभव कराते हैं।
घर के कोनों में अव्यवस्था बिल्कुल न रखें। ‘क्लटर’ नकारात्मक ऊर्जा को रोकता है और मानसिक रूप से बेचैनी भी बढ़ा सकता है। छोटे पौधे जैसे तुलसी, मनी प्लांट या सैकुलेंट घर की ऊर्जा को संतुलित करने में मदद करते हैं। ये पौधे हवा को शुद्ध करते हैं और आसपास एक सुखद माहौल बनाते हैं।
दिशा और ध्वनि भी तय करती है घर का माहौल
वास्तु में दिशा का विशेष महत्व माना गया है। सोते समय सिर दक्षिण दिशा में और पैर उत्तर की ओर रखने से नींद बेहतर आती है और ऊर्जा का प्रवाह संतुलित होता है। वहीं पढ़ाई या काम के लिए टेबल पूर्व या उत्तर दिशा में रखना एकाग्रता को बढ़ाता है। इसके अलावा घर में ध्वनि स्तर को भी संतुलित रखें। तेज और अस्थिर आवाज़ें पॉजिटिव एनर्जी को डिस्टर्ब कर सकती हैं।
छोटे-छोटे उपाय जैसे रोज़ की सफाई, हल्का संगीत, धूप-दीपक और खुशबूदार माहौल घर को मंदिर जैसी ऊर्जा से भर देते हैं। याद रखें, वास्तु केवल दिशाओं का खेल नहीं — यह आपके जीवनशैली और सोच को भी सकारात्मक बनाता है।
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