राम जन्मभूमि–बाबरी मस्जिद विवाद में पूर्व पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने एक बार फिर अपनी स्पष्ट राय रखते हुए कहा है कि देश में अब बाबर के नाम पर किसी भी मस्जिद के निर्माण की आवश्यकता नहीं है। उनका यह बयान TMC के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर के उस दावे के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि बाबरी मस्जिद का शिलान्यास जल्द हो सकता है।
इकबाल अंसारी ने इस दावे को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि 2019 में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस लंबे विवाद का अंतिम अध्याय था, जिसे सभी समुदायों ने स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि इस फैसले को सभी ने मानकर आगे बढ़ने की कोशिश की है और ऐसे समय में किसी भी नए बयान का मकसद सिर्फ माहौल को गरम करना लगता है।
बाबर के नाम पर मस्जिद गलत संदेश देगी
अंसारी ने अपने बयान में साफ ज़ोर दिया कि बाबर के नाम पर मस्जिद बनाना न तो समाज के लिए सही है और न ही राजनीति के लिए। उनका कहना था कि देश के मुसलमान अब किसी ऐसे मुद्दे में नहीं पड़ना चाहते, जिससे दो समुदायों के बीच दूरी बढ़े।
उन्होंने कहा कि भारत के मुस्लिम समाज में पहले से ही यह भावना है कि धार्मिक ढांचे को लेकर आगे विवाद बढ़ाने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी ने शांति से स्वीकार किया, ऐसे में बाबर के नाम पर नई मस्जिद का विचार समाज में गलत संदेश पैदा कर सकता है।
अंसारी का यह बयान इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि उन्होंने हमेशा अदालत के निर्णय पर भरोसा जताया और अयोध्या में विवाद को खत्म करने के प्रयासों में आगे रहे।
क्यों बढ़ रहा है मंदिर-मस्जिद का मुद्दा?
बंगाल में चुनावी सरगर्मी बढ़ते ही कई राजनीतिक मुद्दे फिर चर्चा में आने लगे हैं। TMC नेता हुमायूं कबीर का यह बयान भी इसी माहौल में चर्चा का विषय बन गया।
इकबाल अंसारी ने बिना किसी पार्टी का नाम लिए कहा कि चुनावी मौसम में अक्सर ऐसे बयान सामने आते हैं, जिनका उद्देश्य लोगों की भावनाओं को प्रभावित करना होता है। उन्होंने इसे साफ-साफ “सियासी रणनीति” बताया और कहा कि वास्तविकता यह है कि आज देश में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का विवाद समाप्त हो चुका है।
उन्होंने यह भी कहा कि जनता का ध्यान असल मुद्दों — रोजगार, महंगाई, शिक्षा और विकास — से हटाने के लिए धार्मिक मुद्दों को हवा दी जाती है। लेकिन अब जनता पहले से ज्यादा समझदार है और ऐसे बयानों को गंभीरता से नहीं लेती।
अदालत के फैसले का सम्मान और शांति का संदेश
इकबाल अंसारी ने अपने बयान में 9 नवंबर 2019 को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को याद करते हुए कहा कि उस दिन से देश में एक बड़ा अध्याय खत्म हो गया था। अदालत ने स्पष्ट रूप से मंदिर निर्माण का रास्ता साफ किया और मुसलमानों को 5 एकड़ जमीन देकर मस्जिद निर्माण का अधिकार दिया।
उन्होंने कहा कि फैसले के बाद किसी भी तरह का तनाव नहीं हुआ और देश के मुस्लिम समुदाय ने इस निर्णय को पूरी गरिमा के साथ स्वीकार किया। अंसारी ने कहा कि जब विवाद समाप्त हो चुका है, तो उसे फिर से उठाना न समाज के हित में है और न ही देश के लिए अच्छा संकेत है।
उन्होंने संदेश दिया कि सभी धर्मों के लोग शांति और एकता के साथ रहने की कोशिश करें और किसी भी राजनीतिक या धार्मिक बहस में बिना वजह न उलझें।
अंसारी के अनुसार, अब देश को आगे बढ़ने की जरूरत है और मंदिर-मस्जिद जैसे मुद्दों को पीछे छोड़कर विकास और एकता की राह अपनानी चाहिए।
