बिहार विधानसभा में पहली बार शामिल हुई युवा विधायक मैथिली ठाकुर ने सदन में बिताए अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने बताया कि सदन में बैठकर बहस सुनना उनके लिए एक नया और सीखने वाला अनुभव था। टीवी पर देखना अलग होता है, जबकि सीधे सदन में मौजूद रहकर बहस सुनना पूरी तरह से अलग अनुभव देता है। उन्होंने कहा कि हर शब्द पर ध्यान देना और चर्चा की गंभीरता को समझना उनके लिए एक चुनौती और सीख का अवसर साबित हुआ।
तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति पर प्रतिक्रिया
मैथिली ठाकुर ने विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यदि विपक्ष का मुख्य नेता सदन में नहीं होता है, तो बहस का संतुलन गड़बड़ा जाता है। उनका कहना था कि वे चाहती थीं कि विपक्ष से किसी ठोस मुद्दे पर तीखी बहस हो, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया और बहस का स्तर बढ़ सके, लेकिन ऐसा वातावरण नहीं बन पाया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पूरे सदन में मौजूद रहकर उन्होंने महसूस किया कि विपक्ष की सक्रिय भागीदारी बहस की गुणवत्ता के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।
सदन की बहस से मिली सीख
मैथिली ने बताया कि सदन में बैठकर बहस सुनना उनके लिए खुद को सुधारने और सीखने का मौका था। उन्होंने कहा कि प्रभावशाली तरीके से बोलने के लिए तैयारी, आत्मविश्वास और ठोस तर्क बहुत जरूरी हैं। उन्होंने यह भी माना कि लोकगायिका से विधायक बनने के बावजूद अब उन्हें नई जिम्मेदारियों के लिए लगातार मेहनत करनी होगी। यह उनके लिए एक चुनौती है, लेकिन वह इसे गंभीरता से ले रही हैं और भविष्य में बेहतर योगदान देने का इरादा रखती हैं।
मैथिली ठाकुर ने अनुभव को बताया खास
मैथिली ठाकुर ने सदन में अपने पहले दिन को यादगार बताते हुए कहा कि यह अनुभव उन्हें अपने राजनीतिक और सामाजिक दायित्वों के प्रति और भी सतर्क और जिम्मेदार बनाएगा। उन्होंने जनता से अपील की कि युवा नेताओं को सीखने का अवसर मिले और उन्हें सक्रिय रूप से अपने कर्तव्यों को निभाने का समय मिले। उनके अनुसार, सीखने की प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होती, और यह अनुभव उन्हें आने वाले समय में बिहार की जनता के लिए और बेहतर काम करने की प्रेरणा देगा।
