महाराष्ट्र की राजनीति में उस वक्त हलचल मच गई जब शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मंच से बीजेपी और देवेंद्र फडणवीस पर कड़े सवाल दागे। 2020 के चर्चित पालघर मामले के आरोपी काशीनाथ चौधरी के बीजेपी में शामिल होने पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह कदम न केवल हिंदू समाज की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है, बल्कि राजनीतिक नैतिकता को भी ठेस पहुंचाने वाला है। ठाकरे ने सीधा हमला बोलते हुए कहा कि अगर वही व्यक्ति आज निर्दोष बताया जा रहा है, तो फिर उस समय हिंदुत्व का ढोंग रचकर शिवसेना को क्यों बदनाम किया गया? और अगर अपराधी था तो BJP ने उसे अपने परिवार में जगह क्यों दी?
इस पूरे घटनाक्रम में ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी को हिंदू समाज से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग तक कर डाली। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में तनाव बढ़ गया और पूरा माहौल चुनावी टकराव जैसा गूंजने लगा।
शिंदे पर भी तेज हुई तीखी टिप्पणियां
उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में एकनाथ शिंदे पर बिना नाम लिए लेकिन अत्यंत तीखे शब्दों में निशाना साधा। उन्होंने कहा कि शिंदे 25 वर्षों तक शिवसेना के साथ खड़े रहे, हिंदुत्व की विचारधारा पर चले और संगठन में जगह-जगह उनका स्वागत हुआ। ठाकरे का कहना था कि “उन्हें हमने कंधे पर बैठाया, गांव-गांव घुमाया और परिवार की तरह अपनाया।” परंतु सत्ता मिलने के बाद ‘लात मारकर चले गए’—इस कथन ने पूरा हॉल तालियों से गूंजा दिया।
ठाकरे ने आगे तंज किया कि कभी दिल्ली मराठा घोड़ों की टाप से कांपती थी, लेकिन आज वही लोग दिल्ली के जूते चाटते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने शिंदे गुट को ‘भगवा परिवार नहीं, गद्दारों का समूह’ करार देते हुए कहा कि ये लोग सत्ता की खातिर विचारधारा तक बेच देने में पीछे नहीं हटे।
ड्रग माफिया को टिकट और बिना जांच भर्ती
उद्धव ठाकरे ने भाजपा और केंद्र सरकार पर एक और गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आज राजनीति का स्तर इतना गिर गया है कि पार्टी में बगैर जांच-पड़ताल के किसी को भी शामिल किया जा रहा है। ठाकरे ने खुलासा किया कि एक ड्रग माफिया को मेयर पद का टिकट देने तक की कोशिश की गई, जो लोकतंत्र और कानून व्यवस्था दोनों के लिए खतरनाक संकेत है।
उन्होंने कहा कि सत्ता पाने की जल्दबाजी में जो लोग पहले अपराधियों को अपराधी बताते थे, वही लोग आज उन्हें मंचों पर लाल फूल पहनाकर स्वागत कर रहे हैं। ठाकरे ने कहा कि देश की राजनीति बर्बादी की ओर जा रही है और इसे रोकने के लिए जनता को सतर्क रहना होगा। उनका कहना था कि जिसने एक बार समाज के खिलाफ अपराध किया, उसे राजनीतिक संरक्षण देना किसी भी सरकार का सबसे गैरजिम्मेदाराना कदम है।
शिवसैनिकों को दिया जोशभरा संदेश
कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण का समापन शिवसैनिकों के हौसले को मजबूत करते हुए किया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति उम्र से नहीं, सोच से बूढ़ा होता है। “आप सबने बालासाहेब ठाकरे के साथ ढाल की तरह खड़े होकर शिवसेना की पहचान बनाई थी। आज यदि शिवसेना जिंदा है तो आपकी वजह से।”
ठाकरे ने 1977 के उस दौर का जिक्र किया जब शिवसैनिकों ने मोरारजी देसाई की विशाल सभा को कुछ मिनटों में तहस-नहस कर दिया था। उन्होंने कहा कि आज भी वही शक्ति, वही जज़्बा और वही निष्ठा शिवसैनिकों में है, जो किसी भी चुनौती के सामने झुकने नहीं देगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आने वाले समय में न्याय भी मिलेगा और सत्ता भी—लेकिन शर्त यही है कि संगठन के प्रति ईमानदारी और जनता के प्रति जिम्मेदारी बनी रहे।
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