Friday, December 5, 2025
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क्या आपकी नींद छीन रही है आपकी उम्र? कम सोने वालों को होता है हार्ट अटैक और ब्रेन डैमेज का खतरा!

कम नींद लेना आपकी सेहत के लिए घातक साबित हो सकता है। जानिए कैसे नींद की कमी हार्ट अटैक, डायबिटीज और मानसिक तनाव जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनती है।

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भागदौड़ भरी जिंदगी में आज लोग नींद को विलासिता समझने लगे हैं। देर रात तक मोबाइल स्क्रॉल करना, ऑफिस के टारगेट पूरे करना या सोशल मीडिया की दुनिया में खोए रहना — यह सब हमारी नींद की दुश्मन बन चुकी हैं। डॉक्टरों के अनुसार एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद जरूरी है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि 60% से ज्यादा लोग इस बुनियादी जरूरत को नजरअंदाज कर रहे हैं।

कम नींद का असर केवल अगले दिन की थकान तक सीमित नहीं रहता। यह शरीर की कार्यप्रणाली को गहराई से प्रभावित करता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि नींद न पूरी होने से शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है, जो हार्ट, ब्लड प्रेशर और इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है। यानी, जो नींद आप काट रहे हैं, वो आपकी जिंदगी के साल काट रही है।

दिल पर सबसे ज्यादा असर, बढ़ता है हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा

नींद और दिल के बीच गहरा रिश्ता है। जब हम सोते हैं, तो हृदय की मांसपेशियां आराम करती हैं और ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है। लेकिन जब नींद कम होती है, तो ये प्रक्रिया बाधित हो जाती है। एक हालिया मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक, जो लोग दिन में 6 घंटे से कम सोते हैं, उनमें हार्ट अटैक का खतरा 30% ज्यादा पाया गया है।

कम नींद से शरीर में ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी बिगड़ने लगता है। यही कारण है कि नींद की कमी मोटापा और डायबिटीज जैसी बीमारियों की जड़ मानी जाती है। लगातार नींद का अभाव रक्त वाहिकाओं में सूजन पैदा करता है, जिससे ब्लॉकेज और स्ट्रोक का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।

डॉक्टरों का कहना है कि अगर आप दिन में बार-बार थकान महसूस करते हैं या छोटे-छोटे कामों में धड़कन तेज होने लगती है, तो यह नींद की कमी का सीधा संकेत हो सकता है। ऐसे में तुरंत अपनी नींद की दिनचर्या सुधारना जरूरी है।

दिमाग और मानसिक स्वास्थ्य पर भी भारी नींद की कमी

नींद न केवल शरीर को आराम देती है, बल्कि मस्तिष्क को भी रीचार्ज करती है। अगर आप लगातार कम सो रहे हैं, तो आपका ब्रेन “हाई अलर्ट मोड” में चला जाता है — यानी शरीर आराम चाहता है लेकिन दिमाग थकान में भी काम करने को मजबूर होता है।

रिसर्च से पता चला है कि नींद की कमी याददाश्त कमजोर करती है, निर्णय लेने की क्षमता घटाती है और चिड़चिड़ापन बढ़ाती है। यही नहीं, लंबे समय तक नींद न लेना डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी मानसिक बीमारियों का कारण बन सकता है। नींद के दौरान दिमाग में जमा हुए टॉक्सिन्स (विषैले तत्व) निकलते हैं, लेकिन जब नींद अधूरी रहती है, तो ये टॉक्सिन्स जमा होकर मस्तिष्क कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि “नींद कोई समय की बर्बादी नहीं, बल्कि शरीर की मरम्मत का सबसे जरूरी हिस्सा है।” अगर आप अपने दिल, दिमाग और सेहत को सही रखना चाहते हैं, तो कम से कम 7 घंटे की गहरी नींद को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना ही होगा।

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