Delhi High Court की एक वर्चुअल सुनवाई से पहले का एक वीडियो इस समय पूरे सोशल मीडिया पर सनसनी मचाए हुए है। वायरल वीडियो में एक वकील साहब को अदालत की ऑनलाइन लिंक पर कैमरा ऑन छोड़कर महिला के साथ रोमांस करते हुए देखा जा सकता है। यह वीडियो जज के लॉग इन करने से पहले का बताया जा रहा है, जब सभी प्रतिभागी वेटिंग रूम में थे। तभी यह घटना लाइव हो गई और स्क्रीन पर बैठे बाकी प्रतिभागियों ने इस दृश्य को देख लिया। कुछ ही सेकंड में वीडियो की क्लिप किसी ने रिकॉर्ड कर ली और अब यह इंटरनेट पर आग की तरह फैल रही है।
वीडियो में वकील साहब किसी महिला के बेहद करीब बैठकर ‘किस’ करते नजर आ रहे हैं। उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि उनका कैमरा ऑन है और सब कुछ रीयल टाइम में रिकॉर्ड हो रहा है। यह घटना सामने आते ही न केवल वकालत बिरादरी में बल्कि न्यायपालिका से जुड़े लोगों में भी हलचल मच गई है।
मर्यादा पर सवाल — वकील पर कार्रवाई की उठी मांग
इस पूरे मामले के सामने आने के बाद अब लोग अदालत की गरिमा और पेशेवर आचरण पर सवाल उठा रहे हैं। कोर्ट रूम चाहे फिजिकल हो या वर्चुअल, उसके अंदर एक तय मर्यादा और अनुशासन होता है — लेकिन इस घटना ने उन सीमाओं की धज्जियां उड़ा दी हैं। बार काउंसिल के कुछ वरिष्ठ वकीलों ने इस पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि वकालत सिर्फ पेशा नहीं बल्कि एक गरिमा से जुड़ा उत्तरदायित्व है, और ऐसी हरकत उस जिम्मेदारी को शर्मसार करती है।
Welcome to Digital India Justice 😂
Court is online… but judge forgot it’s LIVE! ☠️
When tech meets tradition
— and the camera off button loses the case! 🤣 pic.twitter.com/1GbfOFQ6w7— ShoneeKapoor (@ShoneeKapoor) October 15, 2025
वहीं, कुछ कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही यह घटना कोर्ट की औपचारिक सुनवाई से पहले की हो, लेकिन लिंक पर जुड़ते ही मर्यादा का पालन करना हर वकील की जिम्मेदारी होती है। अब इस मामले की जांच की बात भी कही जा रही है।
सोशल मीडिया पर बहस ‘यह कोर्ट है कोई चैट रूम नहीं’
घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं बाढ़ की तरह आ रही हैं। किसी ने लिखा, “यह कोर्ट रूम है, कोई पर्सनल चैट रूम नहीं।” तो किसी ने तंज कसते हुए कहा, “वकील साहब को शायद भूल गए थे कि कैमरा ऑन है।” इस घटना ने वर्चुअल सुनवाई की मर्यादा और अनुशासन पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
वहीं, कुछ लोगों ने कोर्ट प्रशासन से भी सवाल किया है कि सुनवाई से पहले कैमरा और माइक्रोफोन को लेकर कड़े दिशा-निर्देश क्यों नहीं लागू किए जाते। अगर इस तरह की घटनाएं बार-बार होती रहीं, तो यह न सिर्फ न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता को प्रभावित करेगी बल्कि अदालत की साख पर भी असर डालेगी।
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