Akhilesh Yadav: सोमवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव विपक्षी दलों के नेताओं के साथ भारत निर्वाचन आयोग की ओर मार्च कर रहे थे। ये मार्च केंद्र सरकार की नीतियों और चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाने के लिए था। लेकिन जब दिल्ली पुलिस ने उन्हें रास्ते में बैरिकेडिंग लगाकर रोका, तब सभी की निगाहें अखिलेश यादव पर टिक गईं। कुछ ही पलों में उन्होंने लोहे की बैरिकेडिंग को फांदते हुए रास्ता पार कर लिया। उनका यह साहसी कदम न सिर्फ मीडिया कैमरों में कैद हुआ बल्कि सोशल मीडिया पर वायरल भी हो गया।
शिवपाल यादव की भावनात्मक प्रतिक्रिया ने चौंकाया
इस घटना का एक दिलचस्प पहलू तब सामने आया जब अखिलेश यादव के चाचा और सपा से अलग राह चुन चुके शिवपाल सिंह यादव ने यह वीडियो खुद सोशल मीडिया पर शेयर किया। आमतौर पर राजनीतिक तौर पर दूरी बनाए रखने वाले शिवपाल ने इस बार अखिलेश की तारीफ करते हुए लिखा, “यह छलांग सिर्फ लोहे की बैरिकेडिंग पर नहीं थी, यह सपा की संघर्षशील परंपरा की पहचान है।” इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में कई कयासों को जन्म दे दिया — क्या चाचा-भतीजे के रिश्तों में अब नरमी आई है? या फिर यह महज एक सियासी स्टंट के प्रति समर्थन था? शिवपाल की पोस्ट को हजारों लाइक्स और कमेंट्स मिले, जिसमें समर्थकों ने इस इशारे को ‘घर वापसी’ की संभावना से भी जोड़ा।
विपक्षी एकता बनाम सरकार की सख्ती
इस पूरे घटनाक्रम ने न सिर्फ समाजवादी पार्टी बल्कि विपक्षी एकता को भी चर्चा में ला दिया। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, आरजेडी सहित कई दलों के नेताओं ने अखिलेश की इस ‘एक्शन मोड’ को विपक्ष की ऊर्जा का प्रतीक बताया। वहीं भाजपा और कुछ अन्य दलों ने इसे ‘नाटकबाज़ी’ करार दिया। बावजूद इसके, सपा कार्यकर्ताओं और युवा समर्थकों के लिए यह वीडियो एक नया संदेश बनकर उभरा — नेता वही जो मौके पर मैदान में दिखे। शिवपाल यादव के अप्रत्याशित समर्थन से भी यह तय माना जा रहा है कि आने वाले चुनावी मौसम में रिश्ते और समीकरण दोनों बदल सकते हैं।
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