कई लोग सोचते हैं कि सोशल मीडिया पर 1 लाख फॉलोवर या 10 हजार सब्सक्राइबर मिलते ही पैसे बरसने लगते हैं, लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। सिर्फ नंबर से पैसा नहीं आता — असली कमाई होती है फॉलोवर की “एक्टिविटी” और “इंटरेक्शन” से।
एक औसत क्रिएटर जिसके Instagram पर 1 लाख फॉलोवर हैं, अगर उसका एंगेजमेंट रेट 5–10% है, तो वह महीने में 20 हजार से 1 लाख रुपये तक कमा सकता है। वहीं कम एंगेजमेंट वाले अकाउंट पर यह रकम 5 से 10 हजार रुपये तक भी सिमट सकती है। ब्रांड्स ऐसे क्रिएटर्स को ही प्राथमिकता देते हैं जिनके फॉलोवर वास्तव में उनकी बात सुनते और पोस्ट पर इंटरैक्ट करते हैं।
यूट्यूब पर 10 हजार सब्सक्राइबर से भी खुल सकते हैं इनकम के दरवाजे
अब बात करते हैं YouTube की। बहुत से लोग मानते हैं कि 10 हजार सब्सक्राइबर का मतलब है लाखों की कमाई — लेकिन यहां भी फॉलोवर से ज्यादा मायने रखता है “वॉच टाइम” और “वीडियो क्वालिटी”। यूट्यूब की कमाई मुख्य रूप से विज्ञापनों और ब्रांड डील्स पर निर्भर करती है।
भारत में एक यूट्यूबर को 1000 व्यूज पर औसतन 30 से 100 रुपये तक की कमाई हो सकती है। यानी अगर किसी चैनल पर महीने में 3–5 लाख व्यूज आ रहे हैं, तो क्रिएटर 15 से 50 हजार रुपये तक कमा सकता है। इसके अलावा ब्रांड प्रमोशन, एफिलिएट मार्केटिंग और लाइव स्ट्रीमिंग से भी इनकम बढ़ाई जा सकती है।
इनकम बढ़ाने का असली फॉर्मूला — ब्रांड वैल्यू और एक्टिव ऑडियंस
फॉलोवर की संख्या आपकी सोशल मीडिया पोज़िशनिंग दिखा सकती है, लेकिन कमाई की असली कुंजी है “ऑडियंस की भरोसेमंदी” और “कंटेंट की ताकत”। जिन क्रिएटर्स का कंटेंट यूनिक और लगातार एंगेजिंग होता है, वही ब्रांड्स की नज़र में वैल्यूएबल बनते हैं।
एक एक्टिव और भरोसेमंद ऑडियंस के साथ 1 लाख इंस्टाग्राम फॉलोवर और 10 हजार यूट्यूब सब्सक्राइबर वाले क्रिएटर ब्रांड कोलैब, स्पॉन्सर्ड पोस्ट, एफिलिएट लिंक और प्रोडक्ट सेल से महीने में 50 हजार से 2 लाख रुपये तक कमा सकते हैं। वहीं अगर एंगेजमेंट कम है तो यही इनकम कुछ हजार तक गिर सकती है।
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