पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में आज एक विशाल भगवद् गीता पाठ का आयोजन किया गया। आयोजकों के अनुसार, इस कार्यक्रम में लगभग 5 लाख लोग शामिल हुए। इस भव्य आयोजन में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस, योग गुरु बाबा रामदेव और धार्मिक गुरु धीरेन्द्र शास्त्री के साथ कई साधु-संत भी उपस्थित रहे। आयोजकों का कहना है कि यह कार्यक्रम हिंदुओं के आध्यात्मिक जागरण और सनातन धर्म की एकता को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया।
इस मौके पर श्रद्धालुओं ने अपने पूरे परिवार के साथ भाग लिया और पूरे कार्यक्रम में एकजुट होकर गीता के पवित्र संदेश को पढ़ा। आयोजन स्थल पर श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी थी कि लग रहा था जैसे कोलकाता में कोई महाकुंभ मेला लग गया हो। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस और केंद्रीय बलों ने विशेष सतर्कता बरती।
गीता पाठ का महत्व और पाठ के अध्याय
कार्यक्रम के दौरान भगवद् गीता के पहले, नवम और अठारहवें अध्याय का पाठ किया गया। धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि भगवद् गीता का संदेश केवल धार्मिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक और नैतिक मार्गदर्शन भी प्रदान करता है। उन्होंने कहा, “सनातन एकता ही देश और विश्व के लिए शांति का सबसे बड़ा साधन है। भारत में हम ‘सनातनी’ चाहते हैं, ‘तनातनी’ नहीं।”
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भी इस अवसर पर अपनी बात रखी और कहा कि युवा पीढ़ी के लिए यह एक प्रेरक कदम है कि वे गीता का पाठ करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस प्रकार के सामूहिक आध्यात्मिक आयोजन राष्ट्रीय गौरव का विषय बनते हैं। बाबा रामदेव ने भी उपस्थित श्रद्धालुओं को योग और आध्यात्मिक अनुशासन की महत्ता बताई।
बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की नींव और प्रतिक्रिया
इस गीता पाठ से एक दिन पहले मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में तृणमूल कांग्रेस के निष्कासित विधायक हुमायूं कबीर ने बाबरी मस्जिद की आधारशिला रखी थी। इस कार्यक्रम में चार लाख लोग शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान पुलिस और केंद्रीय बलों की भारी तैनाती रही। कबीर ने अपने भाषण में कहा कि यह किसी की आस्था के सम्मान के लिए किया जा रहा है और किसी के धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँचाना उद्देश्य नहीं है।
धीरेन्द्र शास्त्री ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हर किसी की आस्था का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन भगवान राम और मंदिर निर्माण के मुद्दे पर किसी भी तरह की आपत्ति अस्वीकार्य है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आस्था और सम्मान का संतुलन बनाए रखना समाज में शांति और एकता के लिए जरूरी है।
सुरक्षा व्यवस्था और लोगों की भागीदारी
कोलकाता में आयोजित इस गीता पाठ कार्यक्रम के दौरान पुलिस, आरएएफ और केंद्रीय बलों की व्यापक तैनाती रही। इसके बावजूद श्रद्धालुओं ने पूरी शांति और अनुशासन के साथ कार्यक्रम में हिस्सा लिया। आयोजकों ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जुटने के बावजूद कोई अप्रिय घटना नहीं हुई और कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
श्रद्धालुओं ने उत्साह और आस्था के साथ गीता का पाठ किया। कई लोग अपने परिवार और बच्चों के साथ आए थे। आयोजन स्थल पर श्रद्धालुओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता से भरपूर था। कई युवाओं ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया और गीता के संदेश को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा ली।
आध्यात्मिक जागरण और सामाजिक संदेश
इस गीता पाठ कार्यक्रम का उद्देश्य केवल धार्मिक समारोह नहीं बल्कि लोगों में आध्यात्मिक जागरूकता फैलाना था। धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि सनातन धर्म की शिक्षा और एकता ही भारत के लिए सबसे बड़ा संपत्ति है। उन्होंने कहा, “भारत में हम ‘गजवा-ए-हिंद’ नहीं चाहते, बल्कि ‘भगवा-ए-हिंद’ का संदेश फैलाना चाहते हैं। यह संदेश केवल हिंदुओं तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे विश्व में शांति और एकता का प्रतीक है।”
आयोजन के दौरान विभिन्न साधु-संतों ने अपने विचार साझा किए और लोगों को आपसी भाईचारे और सांस्कृतिक सम्मान की सीख दी। कार्यक्रम ने लोगों के बीच आध्यात्मिक अनुभव और मानसिक शांति का माहौल पैदा किया।
भविष्य में ऐसे आयोजन और उनका प्रभाव
इस कार्यक्रम से यह स्पष्ट हो गया कि लोगों में आध्यात्मिक जागरूकता के प्रति उत्साह काफी बढ़ रहा है। आयोजकों ने भविष्य में भी इस तरह के सामूहिक गीता पाठ और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है। उनका मानना है कि यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं है बल्कि समाज में एकता और भाईचारे को मजबूत करने का माध्यम भी है। आयोजन स्थल पर उपस्थित लोगों ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल उनके जीवन को आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्ध बनाते हैं, बल्कि समाज में शांति और आपसी सम्मान की भावना भी बढ़ाते हैं।
