दिल्ली ब्लास्ट केस में पुलिस को CCTV फुटेज से चौंकाने वाली जानकारी मिली है। जांच में सामने आया है कि आरोपी मोहम्मद उमर उर्फ उमर नबी, जो फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल से जुड़ा बताया जा रहा है, ब्लास्ट से तीन घंटे पहले तक उसी कार में बैठा रहा जिसमें बाद में धमाका हुआ। इस फुटेज ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है, क्योंकि उमर का ठहराव और उसकी गतिविधियां किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रही हैं।
मंगलवार शाम करीब 5:45 बजे लाल किले के पास खड़ी एक ग्रे रंग की सेडान कार में विस्फोट हुआ था। धमाका इतना तेज था कि आस-पास के दुकानों के शीशे तक टूट गए। अब पुलिस जांच में ये खुलासा हुआ है कि उमर दोपहर करीब 2:30 बजे से उसी कार में बैठा था, और शाम होते-होते उसने कुछ रहस्यमयी कॉल्स भी की थीं।
फोन कॉल्स और नेटवर्क लोकेशन ने बढ़ाई जांच एजेंसियों की चिंता
पुलिस सूत्रों के अनुसार, उमर के मोबाइल नेटवर्क डेटा से पता चला है कि उसने ब्लास्ट से कुछ घंटे पहले कश्मीर और नेपाल बॉर्डर से जुड़े दो अज्ञात नंबरों पर बातचीत की थी। कॉल रिकॉर्डिंग में कुछ कोड वर्ड्स सुने गए हैं जैसे “Operation S” और “Delivery Done”। जांचकर्ता अब इस बात की पड़ताल कर रहे हैं कि क्या ये किसी टेरर नेटवर्क के एक्टिवेशन कोड थे।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और NIA की संयुक्त टीम ने उस इलाके के CCTV फुटेज खंगालने शुरू कर दिए हैं जहां से उमर की कार गुज़री थी। एक फुटेज में उसे कार से उतरकर आसपास घूमते हुए भी देखा गया है, मानो वह किसी चीज़ का इंतजार कर रहा हो। उसके हाथ में एक छोटा बैग भी नजर आया है, जिसे लेकर अब संदेह है कि उसमें रिमोट ट्रिगर डिवाइस या विस्फोटक डिटोनेटर हो सकता है।
कौन है मोहम्मद उमर नबी?
मोहम्मद उमर नबी का नाम सुरक्षा एजेंसियों की सूची में पहले भी रहा है। बताया जा रहा है कि वह फरीदाबाद में पकड़े गए टेरर मॉड्यूल का हिस्सा था, जो पिछले साल ISIS और अल-कायदा से प्रेरित युवाओं की भर्ती में शामिल था। उमर के बारे में कहा जाता है कि वह एक समय मैकेनिक के तौर पर काम करता था, लेकिन सोशल मीडिया के ज़रिए कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित हुआ और धीरे-धीरे मॉड्यूल का हिस्सा बन गया।
NIA के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, उमर ने पिछले कुछ महीनों में कई बार दिल्ली, गाजियाबाद और फरीदाबाद के बीच यात्राएं की थीं। हर बार उसकी लोकेशन किसी न किसी संवेदनशील जगह के आसपास पाई गई — कभी मंदिरों के पास, कभी सरकारी भवनों के करीब। इस वजह से जांच एजेंसियों ने अब उमर के नेटवर्क के दूसरे सदस्यों को भी ट्रैक करना शुरू कर दिया है।
CCTV में दिखाई दी संदिग्ध हलचल
दिल्ली पुलिस की जांच में एक और सनसनीखेज बात सामने आई है। ब्लास्ट से करीब 20 मिनट पहले, उसी कार के पास एक दूसरा व्यक्ति भी आता-जाता दिखाई दिया। फुटेज में वह व्यक्ति काला हुडी और मास्क पहने हुए दिखता है, जो कार की पिछली सीट के पास कुछ डालता हुआ नजर आता है। संदेह है कि वही व्यक्ति टाइमर या एक्सप्लोसिव डिवाइस सेट करने आया था।
धमाके के बाद कार के पुर्जों में जो अवशेष मिले, उनमें से कुछ मिलिट्री-ग्रेड सर्किट बोर्ड और लिथियम बैटरी पैक पाए गए हैं। फॉरेंसिक जांच में ये विदेशी तकनीक से बने बताए जा रहे हैं। इससे यह शक और गहरा गया है कि यह पूरा प्लान किसी अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ा हुआ था।
दिल्ली पुलिस ने ब्लास्ट के बाद राजधानी में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। खासकर लाल किले से कुछ ही दूरी पर स्थित अरुण जेटली स्टेडियम और चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं। नागरिकों से अपील की गई है कि वे किसी भी संदिग्ध वाहन या व्यक्ति की तुरंत सूचना दें।
इस बीच, गृह मंत्रालय ने दिल्ली ब्लास्ट की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी है। सूत्रों का कहना है कि एजेंसियां उमर के साथ-साथ उसके डिजिटल नेटवर्क, बैंकिंग ट्रांजैक्शन्स और विदेशी फंडिंग की भी जांच कर रही हैं।
क्या था उमर का अंतिम प्लान?
CCTV, कॉल रिकॉर्ड और डिजिटल फुटप्रिंट्स के आधार पर यह माना जा रहा है कि दिल्ली ब्लास्ट कोई आकस्मिक वारदात नहीं थी, बल्कि ‘Operation Sindoor 2.0’ नामक साजिश का हिस्सा थी। सोशल मीडिया पर यह नाम धमाके के कुछ मिनटों बाद ट्रेंड करने लगा था। माना जा रहा है कि यह नाम उसी आतंकी समूह द्वारा प्रचारित किया गया जिसने उमर को यह मिशन सौंपा था।
अब जांच एजेंसियां इस बात का पता लगाने में जुटी हैं कि क्या उमर ने अकेले काम किया या इसके पीछे कोई बड़ा स्लीपर सेल नेटवर्क सक्रिय है।
Read more-दिन चाय बेचकर जोड़ता रहा सिक्के, फिर जिस दिन बेटी को दिलाई स्कूटी… उस पल ने बना दिया उसे हीरो!
