हरियाणा के फरीदाबाद जिले में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी इन दिनों सुर्खियों में है। कभी शिक्षा के नाम पर चल रही इस यूनिवर्सिटी पर अब आतंकी संगठनों से जुड़े होने और फर्जी मान्यता के दावों को लेकर जांच का पहाड़ टूट पड़ा है। विश्वविद्यालय की वेबसाइट अचानक बंद हो जाने के बाद से छात्रों में हड़कंप मच गया है। वहीं NAAC (नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल) ने संस्थान को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है।
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली के लाल किले के पास हुए हालिया कार ब्लास्ट मामले में अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम संदिग्ध रूप से सामने आया, जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने इसकी गतिविधियों पर नजरें गड़ा दी हैं। बताया जा रहा है कि कुछ छात्रों और स्टाफ के मोबाइल डाटा को भी खंगाला जा रहा है, ताकि साजिश के तार कहां तक फैले हैं, यह पता लगाया जा सके।
NAAC और UGC की नजर में आई यूनिवर्सिटी
NAAC की टीम ने हाल ही में अल-फलाह यूनिवर्सिटी की मान्यता संबंधी दस्तावेजों की जांच शुरू की है। शुरुआती रिपोर्ट में कई कोर्स और फैकल्टी अप्रूवल से जुड़ी गड़बड़ियां सामने आई हैं। UGC के पोर्टल पर भी यूनिवर्सिटी से संबंधित अपडेटेड डाटा न होने पर सवाल उठ रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, यूनिवर्सिटी के कुछ कार्यक्रमों को बिना उचित अनुमति के चलाया जा रहा था। फर्जी अफिलिएशन सर्टिफिकेट और अनुमोदन की कथित हेराफेरी को लेकर शिक्षा विभाग ने नोटिस जारी किया है।
NAAC ने साफ कहा है कि अगर विश्वविद्यालय आवश्यक जवाब नहीं देता या रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराता, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है। वहीं UGC ने भी राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है कि क्या अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने नियमों का पालन किया था या नहीं।
आतंक लिंक से खौफ, वेबसाइट बंद और छात्रों में दहशत
लाल किला ब्लास्ट केस में नाम आने के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी की वेबसाइट अचानक बंद कर दी गई। इस कदम ने संदेह और बढ़ा दिया है। साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि वेबसाइट से कई पुराने दस्तावेज और कोर्स से जुड़ी जानकारियां गायब कर दी गई हैं। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह कदम साक्ष्य छिपाने के लिए उठाया गया हो सकता है।
फरीदाबाद पुलिस ने कुछ संदिग्ध लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। इनमें से कई यूनिवर्सिटी से जुड़े बताए जा रहे हैं। साथ ही आंतरिक ऑडिट टीम को वित्तीय लेन-देन की फाइलों की जांच के आदेश दिए गए हैं। छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने अब तक उन्हें कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है। कैंपस में पढ़ाई का माहौल तनावपूर्ण है और कई छात्र अपने एडमिशन ट्रांसफर कराने की सोच रहे हैं।
सुरक्षा एजेंसियों की पैनी नजर, फंडिंग की जांच भी शुरू
एजेंसियों के मुताबिक, अल-फलाह यूनिवर्सिटी के खातों में पिछले दो वर्षों में कई संदिग्ध ट्रांजेक्शन हुए हैं। कुछ फंड्स विदेश से आए बताए जा रहे हैं, जिनकी पुष्टि के लिए ED और NIA दोनों संस्थानों ने जांच शुरू कर दी है।
प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि यूनिवर्सिटी से जुड़े कुछ लोगों का संपर्क विदेशी एनजीओ और कट्टरपंथी संगठनों से रहा है। अब जांच इस बात पर केंद्रित है कि क्या यह संपर्क किसी बड़ी आतंकी साजिश का हिस्सा था या नहीं।
राज्य के गृह विभाग ने कहा है कि “किसी भी संस्था को आतंक के मंच के रूप में काम करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। जांच पूरी पारदर्शिता से होगी और दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
फर्जी डिग्रियों पर भी उठे सवाल, छात्रों का भविष्य अधर में
NAAC की जांच के साथ-साथ अब कई छात्रों ने भी फर्जी डिग्री मिलने की शिकायतें दर्ज कराई हैं। उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी ने उन्हें ऐसे कोर्स के सर्टिफिकेट दिए जो किसी भी सरकारी निकाय से मान्यता प्राप्त नहीं थे।
इन शिकायतों के बाद राज्य उच्च शिक्षा विभाग ने यूनिवर्सिटी के सभी कोर्सेज की लिस्ट मांगी है और आदेश दिया है कि जब तक जांच पूरी न हो, कोई नई एडमिशन प्रक्रिया शुरू न की जाए।
इस पूरी घटना के बाद छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। कई छात्रों ने कोर्ट का रुख करने की बात कही है ताकि उनकी डिग्रियां वैध ठहराई जा सकें।
राजनीतिक हलचल और सोशल मीडिया पर बवाल
अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर हुई कार्रवाई ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। विपक्षी दल सरकार पर सवाल उठा रहे हैं कि इतने सालों से यूनिवर्सिटी बिना वैध मान्यता के कैसे चल रही थी। वहीं सोशल मीडिया पर “#AlFalahUniversity” ट्रेंड कर रहा है।
कई यूजर्स ने यूनिवर्सिटी के पुराने प्रचार वीडियो शेयर करते हुए पूछा कि क्या शिक्षा की आड़ में आतंक का नेटवर्क पनप रहा था? कुछ ने इसे फर्जी एडुकेशन रैकेट करार दिया है, तो कुछ ने जांच एजेंसियों के कदम की सराहना की है।
