हसीना पर अदालत के फैसले के आने से पहले बांग्लादेश का माहौल अचानक विस्फोटक हो गया है। राजधानी ढाका और आसपास के जिलों में तनाव इस कदर फैल चुका है कि प्रशासन को कई जगह आपात सुरक्षा व्यवस्था तैनात करनी पड़ी है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ मानवता के खिलाफ कथित अपराधों के मामले में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-BD) सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाला है। इसी फैसले की आहट ने पूरे देश में राजनीतिक भूचाल ला दिया है। लोग यह समझने की कोशिश में हैं कि आने वाले कुछ घंटों में क्या होने वाला है क्या बांग्लादेश की राजनीति एक नए मोड़ पर पहुंच जाएगी या फिर देश किसी और बड़े संकट में धकेल दिया जाएगा? शहरों में दुकानों का समय घटा दिया गया है, इंटरनेट धीमा कर दिया गया है और सोशल मीडिया पर अफवाहों का बाजार तेज़ हो चुका है। इस फैसले को लेकर लोगों की बेचैनी और बढ़ती हिंसा साफ बता रही है कि आने वाले समय में बांग्लादेश किस चुनौती का सामना करने वाला है।
उग्र भीड़ का हमला, पैतृक घर पर चला बुलडोजर
रविवार रात जो घटनाएं सामने आईं, उसने हसीना पर अदालत के फैसले की गंभीरता और बढ़ती हिंसा का अंदाजा और गहरा कर दिया। एक विशाल भीड़ अचानक गाजीपुर जिले में स्थित शेख हसीना के पैतृक घर की ओर बढ़ी। पुलिस के रोकने की कोशिश के बावजूद भीड़ हिंसक हो गई और घर पर हमला बोल दिया। कुछ ही मिनटों में भीड़ ने घर का गेट तोड़ दिया और बुलडोजर लाकर दीवारें गिराने लगी। इस दौरान सुरक्षा बलों को भी पीछे हटना पड़ा, क्योंकि भीड़ काफी संगठित और उग्र दिखाई दे रही थी। घर के बाहर “सजा चाहिए”, “पुराने मामलों की जांच करो” जैसे नारे गूंजते रहे। यह हमला सिर्फ एक इमारत पर हमला नहीं था, बल्कि बांग्लादेश की वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता की सबसे बड़ी तस्वीर थी। इस हमले के बाद पूरे इलाके में कर्फ्यू जैसे हालात बन गए और पुलिस को अतिरिक्त बल बुलाना पड़ा।
ICT-BD का फैसला क्यों है इतना अहम?
हसीना पर अदालत के फैसले सिर्फ एक कानूनी फैसला नहीं, बल्कि बांग्लादेश की राजनीति की दिशा बदलने वाला क्षण माना जा रहा है। ICT-BD पर यह आरोप भी लगते रहे हैं कि अदालत पर राजनीतिक दबावों का असर पड़ता है, वहीं इसके समर्थक कहते हैं कि यह देश में न्याय और जवाबदेही की लड़ाई का प्रतीक है। शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद यह पहला बड़ा फैसला है, जिसका सीधा असर देश की सत्ता, विपक्ष और लोकतांत्रिक ढांचे पर पड़ेगा। कई राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि फैसला कठोर आया तो बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क सकती है। वहीं, उनके समर्थकों को आशंका है कि यह फैसला भविष्य की राजनीति को एकतरफा मोड़ दे सकता है। इसी वजह से आगामी निर्णय को लेकर न सिर्फ बांग्लादेश बल्कि पड़ोसी देश भी सतर्क नज़र बनाए हुए हैं।
देश में हाई अलर्ट, सेना की तैनाती की तैयारी
स्थिति गंभीर होने के बाद सरकार ने कई जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। सुरक्षा एजेंसियों ने रिपोर्ट दी है कि शेख हसीना पर अदालत के फैसले के तुरंत बाद और हिंसा फूट सकती है। ढाका, चिटगांव और राजशाही में अतिरिक्त पुलिस और रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) की तैनाती की गई है। सेना को भी स्टैंडबाय मोड पर रखा गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत हस्तक्षेप किया जा सके। भीड़ द्वारा पैतृक घर पर हमले के बाद सरकार को डर है कि फैसले वाले दिन बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन तेज़ हो सकते हैं। जनता में असुरक्षा का माहौल बढ़ने लगा है, लोग जरूरी सामान पहले से खरीद कर घरों में बंद हो रहे हैं। बांग्लादेश इस समय अपने इतिहास के सबसे निर्णायक और तनावपूर्ण क्षणों से गुजर रहा है। अब पूरे देश की निगाहें ICT-BD के उस फैसले पर टिक गई हैं, जो आने वाले वर्षों में बांग्लादेश की दिशा तय करेगा।
