संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को एक कार्यक्रम में ऐसा बयान दिया, जिसने सबका ध्यान खींच लिया। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि दुनिया के कई देश इस हकीकत से मुंह नहीं मोड़ सकते कि बदलते समय में उन्हें एक समकालीन, कुशल और अधिक स्वीकार्य ग्लोबल वर्कफोर्स की जरूरत होगी। उनका यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब अमेरिका की वीज़ा पाबंदियां और व्यापारिक नीतियां भारतीय पेशेवरों पर सीधा असर डाल रही हैं।
वीज़ा पाबंदियों और व्यापारिक तनाव पर सीधी चोट
जयशंकर की यह टिप्पणी खासतौर पर अमेरिकी प्रशासन की उन नीतियों पर तंज के रूप में देखी जा रही है, जिनमें H-1B वीज़ा पर नई पाबंदियां और ऊंचे शुल्क लगाए गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में पेश हुई इन शर्तों से भारतीय पेशेवर सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। जयशंकर ने साफ कहा कि किसी भी देश की जनसांख्यिकी अब ग्लोबल वर्कफोर्स की मांग पूरी करने में सक्षम नहीं है, इसलिए इसे लेकर व्यापक सोच की जरूरत है।
स्वीकार्य और विकेन्द्रित ग्लोबल वर्कप्लेस का आह्वान
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के कार्यक्रम ‘एट द हार्ट ऑफ डेवलपमेंट: एड, ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी’ में बोलते हुए जयशंकर ने एक विकेन्द्रित और तकनीक-आधारित वर्कप्लेस की वकालत की। उन्होंने कहा कि दुनिया को अब ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार करना होगा, जहां कुशल पेशेवर बिना किसी राजनीतिक या व्यापारिक रुकावट के अपना योगदान दे सकें। उनके इस बयान को भारत की ओर से वैश्विक सहयोग और खुले अवसरों की दिशा में एक मजबूत संदेश माना जा रहा है।
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