Friday, December 5, 2025
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जिस दिन बनी थीं दुल्हन, उसी दिन मिली सजा-ए-मौत…क्या शेख हसीना के लिए ‘17 नवंबर’ किसी की सोची-समझी चाल थी?

बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना को 17 नवंबर को मिली मौत की सजा पर सोशल मीडिया में सवाल उठ रहे हैं। क्या यह तारीख जानबूझकर उनकी मैरिज एनिवर्सरी पर चुनी गई? पढ़िए पूरा विवाद, प्रतिक्रियाएं और उठते राजनीतिक सवाल।

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शेख हसीना को 17 नवंबर 2025 को दी गई मौत की सजा अब बांग्लादेश की राजनीति में एक नए विवाद को जन्म दे रही है। सोशल मीडिया पर हजारों यूजर्स एक ही बात कह रहे हैं—क्या यह तारीख उनकी मैरिज एनिवर्सरी होने के कारण ही चुनी गई? क्योंकि रिकॉर्ड बताते हैं कि सुनवाई 23 अक्टूबर को पूरी हो गई थी और फैसला 14 नवंबर को सुनाया जाना था। लेकिन अचानक 13 नवंबर को ICT ने घोषणा की कि फैसला अब 17 नवंबर को दिया जाएगा। यहीं से शुरू हुई चर्चा कि क्या यह तारीख ‘कैलकुलेटेड’ तरीके से चुनी गई, ताकि फैसले को एक प्रतीकात्मक और निजी झटका बनाया जा सके। ढाका के कई ऑनलाइन पोर्टल, जिनमें सेंट्रिस्ट नेशनल टीवी और द हेडलाइंस शामिल हैं, ने इस तारीख को “एक न्यायिक फैसले में निजी आयाम का जोड़” बताया है।

17 नवंबर—हसीना की मैरिज एनिवर्सरी और सजा का दिन

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की शादी 17 नवंबर 1967 को एमए वाजेद मिया से हुई थी, जो आगे चलकर बांग्लादेश एटॉमिक एनर्जी कमीशन के चेयरमैन बने। सोशल मीडिया पर कई बड़े पेजों ने इस तारीख को “इमोशनल कोलिजन” बताया—जहां उनकी जिंदगी की सबसे खुशहाल यादों में से एक तारीख, अब उनके राजनीतिक जीवन के सबसे काले अध्याय के साथ जुड़ गई। फेसबुक पर 1.55 लाख फॉलोअर्स वाले ‘द हेडलाइंस’ ने लिखा—“17 नवंबर हमेशा उनके निजी जीवन का हिस्सा रहा है, लेकिन अब यही तारीख उनके खिलाफ ऐतिहासिक फैसले के रूप में दर्ज हो गई।” कई यूजर्स ने इसे मात्र संयोग माना, जबकि कुछ ने कमेंट में लिखा कि तारीख बदलने का मकसद “एक राजनीतिक संदेश” देना था, खासकर जब ICT ने बिना कारण बताए फैसला तीन दिन आगे खिसका दिया।

ICT की तारीख बदलने की वजह क्या थी?

बांग्लादेश के बांग्ला दैनिक ‘देश रूपंतोर’ ने रिपोर्ट किया कि फैसले को 14 नवंबर से 17 नवंबर पर शिफ्ट करने ने जनता के बीच बड़ी बहस को जन्म दिया है। ICT द्वारा तारीख बदलने का कारण सार्वजनिक रूप से नहीं बताया गया, जिसने शक और संदेह को और बढ़ाया। फेसबुक पर ‘ढाका क्रॉनिकल’ ने लिखा कि “उसी तारीख को फैसला सुनाना, जिस दिन हसीना की शादी हुई थी, इतना बड़ा संयोग कैसे हो सकता है?” वहीं दूसरी तरफ कुछ विशेषज्ञ इसे महज प्रशासनिक देरी बताते हैं, लेकिन सोशल मीडिया में यह तर्क ज्यादा मजबूत पकड़ नहीं बना पा रहा है। लाखों पोस्ट और कमेंट में लोग पूछ रहे हैं—अगर यह मामला इतना गंभीर था, तो तारीख टालने की क्या जरूरत पड़ी? क्या किसी खास रणनीति के तहत यह किया गया?

हसीना और अवामी लीग का आरोप—‘राजनीति से प्रेरित प्रतिशोध’

फैसले के बाद अवामी लीग और शेख हसीना दोनों ने इस पूरी प्रक्रिया को राजनीति से प्रेरित बताया है। उनका कहना है कि यह फैसला पहले से तय था और निष्पक्ष सुनवाई का कोई अवसर उन्हें नहीं दिया गया। उन्होंने Nobel laureate मुहम्मद यूनुस और अंतरिम सरकार पर आरोप लगाया कि यह सब अवामी लीग को खत्म करने की बड़ी योजना का हिस्सा है। हसीना ने कहा कि फैसला देकर उन्हें सिर्फ राजनीतिक रूप से नहीं, बल्कि निजी रूप से भी चोट पहुंचाई गई है, क्योंकि यह उनकी शादी की सालगिरह का दिन था। दूसरी ओर, सोशल मीडिया में विपक्षी समर्थक इस तारीख को “प्रतीकात्मक न्याय” बता रहे हैं। दोनों पक्षों की तीखी बहस ने यह साफ कर दिया है कि 17 नवंबर की तारीख आने वाले महीनों तक बांग्लादेश की राजनीतिक चर्चा में छाई रहेगी।

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