नवरात्रि के नौ दिनों की साधना का समापन कन्या पूजन से होता है। शास्त्रों में 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर पूजा करने की परंपरा है। इस बार महाअष्टमी 30 सितंबर, मंगलवार को पड़ रही है। कन्या पूजन का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:37 से 05:25 बजे तक रहेगा। वहीं अभिजित मुहूर्त दोपहर 11:47 से 12:35 बजे तक और विजय मुहूर्त 02:10 से 02:58 बजे तक शुभ माना गया है। ऐसे में भक्तजन पूरे श्रद्धा भाव से कन्याओं को आमंत्रित कर पूजा करेंगे और उन्हें विशेष भोजन कराएंगे।
कन्या भोज में क्या परोसा जाए?
कन्या पूजन के दिन तैयार किया गया भोजन सात्विक और ताज़ा होना चाहिए। परंपरागत रूप से पूड़ी, काला चना और सूजी का हलुआ अनिवार्य माना जाता है। इसके साथ ही खीर, मौसमी फल जैसे केला, सेब, अनार और संतरा भोग में अति शुभ माने जाते हैं। भोजन को पौष्टिक बनाने के लिए बादाम, काजू और किशमिश जैसे सूखे मेवे भी शामिल किए जा सकते हैं। मिठाई के रूप में लड्डू या अन्य हल्की मिठाइयों का भी प्रचलन है।
पूजा के बाद की परंपरा
भोजन के बाद कन्याओं को दक्षिणा, वस्त्र या अन्य उपयोगी उपहार देकर विदा करने की परंपरा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस विधि से किया गया कन्या पूजन न केवल देवी को प्रसन्न करता है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि और शांति का भी वास होता है। साथ ही यह माना जाता है कि कन्याओं को खिलाया गया हर कौर देवी को समर्पित होता है और इसका फल कई गुना होकर प्राप्त होता है।
