भारत की शादियाँ वैसे तो हमेशा से ही रंग, रस्म और रिश्तों की गहराई से भरी होती हैं, लेकिन अब इसमें तकनीक का तड़का भी लग चुका है। केरल में हुई एक भव्य शादी में पिता जी ने ऐसा प्रयोग किया जिसने सभी का ध्यान खींच लिया। उन्होंने अपनी कमीज़ की जेब पर एक बड़ा सा QR कोड चिपका लिया था ताकि मेहमान सीधे डिजिटल माध्यम से शगुन दे सकें।
जब भी कोई रिश्तेदार या दोस्त उनके पास पहुँचता, तो वे मुस्कुराते हुए जेब पर लगे उस कोड की ओर इशारा करते — “भाई, स्कैन करो और आशीर्वाद दो।” यह दृश्य इतना अनोखा था कि किसी ने मोबाइल पर वीडियो बना लिया, और देखते ही देखते वो वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया। अब यह QR कोड अंकल पूरे इंटरनेट पर “Digital Shagun Uncle” के नाम से मशहूर हो चुके हैं।
सोशल मीडिया पर मचा हंगामा, मीम्स से लेकर तारीफों की बरसात
इस वीडियो के वायरल होते ही लोगों ने इसे अपने-अपने अंदाज़ में लिया।
कुछ ने इसे भारत की “डिजिटल इंडिया” की नई तस्वीर बताया, तो कुछ ने मज़ाकिया लहजे में लिखा, “अब तो लिफाफे में सौ रुपये रखने की भी ज़रूरत नहीं!” एक यूज़र ने तो कमेंट में लिखा — “भाई, ये है सच्चा कैशलेस भारत, शादी भी अब स्कैन पे चल रही है।”
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हालाँकि, हर किसी ने इसे मज़ेदार नहीं माना। कुछ लोगों को यह परंपरा के खिलाफ लगा। उन्होंने लिखा कि “शगुन देने का मतलब सिर्फ पैसे देना नहीं होता, बल्कि प्यार और आशीर्वाद देना होता है। वो एक एहसास है, जिसे स्कैन से नहीं दिया जा सकता।” इसके बावजूद, कई युवा यूज़र्स ने इसे स्मार्ट और ट्रेंडिंग बताया — उनका कहना था कि जब सबकुछ डिजिटल हो गया है तो शादी के शगुन क्यों नहीं?
डिजिटल पेमेंट का बढ़ता ट्रेंड — परंपरा और तकनीक का संगम
भारत में डिजिटल लेन-देन अब जीवन का हिस्सा बन चुका है। सब्ज़ी वाले से लेकर शादी के फोटोग्राफर तक — हर जगह QR कोड नजर आने लगा है।
ऐसे में यह QR कोड शगुन का ट्रेंड शायद कोई बहुत अचंभे की बात नहीं, लेकिन इसे शादी के भावनात्मक माहौल में लाना निश्चित ही एक नया प्रयोग है।
पहले जहां लोग शादी में लिफाफों में नकद पैसे डालकर देते थे, वहीं अब एक स्कैन से सब कुछ आसान हो गया है। इससे चोरी या गुम होने का डर नहीं रहता, और भुगतान सीधे खाते में पहुँच जाता है।
कई विशेषज्ञ इसे “परंपरा का आधुनिक रूप” मान रहे हैं।
एक डिजिटल कंसल्टेंट का कहना है, “भारत में डिजिटल पेमेंट अब संस्कृति का हिस्सा बन चुका है। QR कोड सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि नई पीढ़ी की सोच का प्रतीक है — तेज़, आसान और पारदर्शी।”
लेकिन वहीं कुछ लोग इसे भावनाओं से जुड़ी परंपराओं पर “तकनीक का अतिक्रमण” बता रहे हैं।
उनका मानना है कि शगुन देने का जो व्यक्तिगत स्पर्श होता है — वह मुस्कुराहट, वो लिफाफा पकड़ाने का अंदाज़ — वह अब स्क्रीन के पार खो रहा है।
सवाल उठे — क्या डिजिटल शगुन भावना को कम कर देगा या नया अध्याय खोलेगा?
यह सवाल अब इंटरनेट पर बहस का केंद्र बन चुका है। कुछ लोग कह रहे हैं कि “यह समय की मांग है” नकद लेन-देन घट रहा है, साइबर सुरक्षा बढ़ रही है, तो शादी में भी डिजिटल होना ही सही है। दूसरी ओर, बुज़ुर्गों का एक वर्ग मानता है कि “शगुन देना केवल पैसों का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि एक परंपरा और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है।”
फिलहाल, जो भी हो, यह QR कोड अंकल लोगों के दिलों में अपनी जगह बना चुके हैं।
कुछ महीनों पहले हमने शादी में बैंड वालों के ड्रम पर QR कोड देखा था, मिठाई वाले के डिब्बे पर Paytm स्टिकर देखा था, लेकिन किसी पिता द्वारा अपनी बेटी की शादी में “डिजिटल शगुन जेब” लगाना सचमुच क्रिएटिविटी की नई मिसाल है।
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