उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब एक ऐसा फैसला लेने जा रहे हैं, जो सूबे के 25,000 होमगार्ड की नौकरी को खतरे में डाल सकता है। लेकिन, ये समझने से पहले की इनकी नौकरी कैसे खतरे में पड़ सकती है। इससे पहले आपको सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला समझना पडे़गा, तो चलिए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था। ये भी पढ़े :यूपीः दो इनामी बदमाश हुए गिरफ्तार, मुठभेड़ में घायल हुए आरोपी
दरअसल, 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सूबे के होमगार्ड को यूपी पुलिस के सिपाही के जितना ही वेतन दिया जाए, जिसे राज्य सरकार अब स्वीकार कर चुका है, लेकिन यहां समस्या ये है कि होमगार्ड के वेतन और भत्ते में बढ़ोतरी के लिए 25 हजार होमगार्ड की नौकरी पर अब खतरे की तलवार लटक गई है। अब तो फिलहाल, इसी बात को लेकर चर्चा का बाजार बना हुआ है कि आखिर इन 25 हजार में कौन-कौन शामिल होते हैं।
यहां हम आपको बता दें कि सुपीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार सचिव अनूप चन्द पाण्डेय के नेतृत्व में एक उच्चस्तरिय कमेटी का गठन किया गया था, जिसमें इस बात पर विचार किया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अमल में लाते हुए सूबे में कार्यरत सभी होम गार्डस को बढ़े हुए वेतन और भत्ते दिए जाएंगे। लेकिन, इसके लिए अतरिक्त आर्थिक बोझ से बचने के लिए तकरीबन 25,000 होम गार्ड कर्मियों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है। ये भी पढ़े :यूपी में बेखौफ होते अपराधी, हवा के झोंके की तरह आए, और दनादन गोलियों से भून कर चले गए