लखनऊ। बंदूख, पिस्टल और तलवार रखने का शौक अधिकतर लोगों को है। उत्तर प्रदेश में कई ऐसे नेता हैं, जिनकी गिनती धाकड़ और बाहुबली नेताओं की जाती है। लेकिन कई ऐसे नेता हैं, जो सिर्फ और सिर्फ सुरक्षा के मद्देनजर बंदूक रखते हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पास 32 बोर की रिवॉल्वर और 2 नली गन है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास रिवाल्वर और राइफल है। भाजपा की वरिष्ठ नेता मेनका गांधी के पास एक राइफल है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के पास 12 बोर डी.बी.बीएल और 30/01 बोर राइफल है। बसपा के वरिष्ठ नेता और गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी के पास एपी-बोर पिस्टल और एन.पी- बोर राइफल है।
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया के पास एक राइफल और दो बंदूक है। समाजवादी पार्टी के नेता अक्षय यादव के पास एक पिस्टल और एक राइफल है। 2014 लोकसभा चुनाव में अक्षय यादव ने फिरोजाबाद से जीत दर्ज की थी। यह जानकारी चुनावी हलफनामे में दी गयी थी। वहीं दूसरी ओर बीते वर्ष उच्चतम न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि जिनके पास लाइसेंसी बंदूख है, क्या उन्हें बॉडीगॉर्ड की जरूरत है।
इस टिप्पणी के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गयी थी। उस दौरान कहा गया था कि जिन लोगों ने अपनी जान पर खतरा बताकर हथियारों के लाइसेंस ले रखे हैं और हथियार भी रखते हैं उनको बॉडीगार्ड की क्या दरकार है? हां,अगर स्थिति ऐसी है कि जरूरत पड़ने पर खुद हथियार नहीं चला सकते तब तो बात अलग है। चर्चा यह भी थी कि पूर्व सैनिकों को बॉडीगार्ड के तौर पर रखा जा सकता है। संभव है आने वाले दिनों में इस एंगल पर गंभीरता से विचार हो, इनमें काफी संख्या में पुलिसकर्मी हाउस गार्ड के तौर पर भी तैनात हैं। इनमें नौकरशाह भी हैं और राजनेता भी। बताते चलें कि आये दिन राजनेताओं के यहां से शादी, विवाह या अन्य पार्टियों में हर्ष फायरिंग की खबरें अक्सर देखने, सुनने को मिल जाती है।
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