Wednesday, June 7, 2023

मुसलमानों की अंतरधार्मिक निकाह शरीयत में वैध नहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जारी किये दिशा निर्देश

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लखनऊ। लव जेहाद, धर्मान्तरण, तीन तलाक जैसे मामलों के बीच मुस्लिम युवाओं और युवतियों की गैर-मुस्लिम से शादी के बढ़ते विवादों पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने चिंता जताई है। बोर्ड ने अंतरधार्मिक शादियों को इस्लामी शरीयत में अवैध करार दिया है। मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने अंतरधार्मिक शादियों को इस्लामी शरीयत में अवैध करार दे कर बड़ा फैसला सुनाया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यवाहक महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि इस्लाम में एक मुस्लिम लड़की केवल एक मुस्लिम लड़के से ही निकाह कर सकती है। मुस्लिम लड़का या लड़की का निकाह मुस्लिम लड़का या लड़की से ही हो सकता है। इसी तरह एक मुस्लिम लड़का एक मुशरिक (बहुदेववादी) लड़की से निकाह नहीं कर सकता।

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उन्होंने कहा कि अगर उसने निकाह की रस्म अंजाम दी भी है तो शरीयत के अनुसार वैध नहीं होगी। मौलाना ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि शिक्षण संस्थानों और नौकरी में पुरुषों और महिलाओं का साथ-साथ होना और दीनी (धार्मिक) शिक्षा से अपरिचित और माता-पिता की ओर से प्रशिक्षण की कमी के कारण अन्तर धार्मिक निकाह, शादियां हो रही हैं। मौलाना ने कहा कि कई घटनाएं हुई हैं जिसमें मुस्लिम लड़कियां गैर-मुस्लिम लड़कों के साथ चली गईं। बाद में बड़ी परेशानियों से गुजरना पड़ा। यहां तक कि उन्हें अपनी जिंदगी से भी हाथ धोना पड़ा। उन्होंने इस तरह की परेशानियों से बचने के लिये उलमा, धार्मिक संगठनों, परिवार, और समाज के लिए दिशा निर्देश जारी किये।

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पर्सनल लॉ बोर्ड के दिशा निर्देश
1. उलेमा-ए-किराम जलसों में इस विषय पर खिलाफ करें और लोगों को इसके नुकसान से जागरूक करें। 2. अधिक से अधिक महिलाओं के इज्तेमा हों और उनमें सुधारात्मक विषयों के साथ चर्चा करें। 3. मस्जिदों के इमाम जुमा के खिताब, कुरआन और हदीस के दर्स में निकाह पर चर्चा करें। लोगों को बताएं कि उन्हें अपनी बेटियों को कैसे प्रशिक्षित करना है। 4. माता-पिता अपने बच्चों की दीनी (धार्मिक) शिक्षा की व्यवस्था करें। लड़के और लड़कियों के मोबाइल फोन इत्यादि पर कड़ी नजर रखें। जितना हो सके लड़कियों के स्कूल में लड़कियों को पढ़ाने का प्रयास करें, सुनिश्चित करें। उन्हें समझाएं कि एक मुसलमान के लिए एक मुसलमान ही जीवन साथी हो सकता है। 5. आमतौर पर रजिस्ट्री कार्यालय में शादी करने वाले लड़के या लड़कियों के नामों की सूची पहले ही जारी कर दी जाती है। धार्मिक संगठन, संस्थाएं, मदरसे के शिक्षक गणमान्य लोगों के साथ उनके घरों में जाएं और उन्हें समझाएं और बताएं कि इस तथाकथित शादी में उनका पूरा जीवन में दिक्कत होगा। सामयिक जुनून के तहत की जाने वाली यह शादी दुनिया में भी विफल ही रहेगी। 6. लड़कों और विशेषकर लड़कियों के अभिभावकों को ध्यान रखना चाहिए कि शादी में देरी न हो ओर समय पर शादी करें। शादी में देरी भी ऐसी घटनाओं का एक बड़ा कारण है। 7. निकाह सादगी से करें, इसमें बरकत भी है, नस्ल की सुरक्षा भी है। अपनी कीमती दौलत को बर्बाद होने से बचाना भी है।

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