लोकसभा चुनाव के चलते उत्तर प्रदेश की राजनीतिक हवा परम पर है। सभी पार्टियां चुनाव के चलते प्रत्याशियों के मंथन में लगी है। तो वही उत्तर प्रदेश में गठबंधन के जिम्मेदारी संभालते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक अहम फैसला लिया है। जो उनके राजनीतिक जीवन पर तो काफी प्रभाव डालेगा ही। लेकिन इस चुनाव में भी गठबंधन के लिए ये फैसला करो या मरो का हो सकता है। दरअसल चुनाव की रणनीति को ध्यान में रखते हुए और यूपी की 80 लोकसभा चुनाव में गठबंधन के बेहतर प्रदर्शन के लिए दोनो ही नेताओं ने चुनाव न लड़ने के फैसला किया है। ताकि दोनो नेता चुनाव और पार्टी की रणनीति पर ज्यादा ध्यान दे सके।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें है। जिसमे से कन्नौज सीट पर लंबे से यही माना जा रहा था कि अखिलेश यादव ही सपा के प्रत्याशी बनकर चुनावी दंगल में उतरेंगे। और इस बात खुद अखिलेश यादव ने नवभारत टाइम्स के इंटरव्यू मे भी कहा था। इस मौके पर अखिलेश यादव ने कहा था कि वह 2019 में कन्नौज की सीट से लोकसभा के चुनाव लड़ेंगे। लेकिन अब कन्नौज में अखिलेश यादव की जगह उनकी पत्नी डिंपल यादव चुनावी मैदान में उतरी है। अखिलेश यादव ने खुद का नाम पीछे करते हुए पत्नी डिंपल यादव के नाम पर मुहर लगी है। जिसके बाद चर्चा ये भी हुई कि शायद कन्नौज से न लड़ने के बाद आजमगढ़ से अखिलेश चुनाव लड़े। जिसपर भी सपा नेता ने विराम लगा दिया। सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस बार अखिलेश चुनावी अभियान पर फोकस करेंगे और लोकसभा के चुनाव नहीं लड़ेंगे।
अखिलेश यादव की तरह बसपा अध्यक्ष मायावती राज्यसभा से इस्तीफा देने बाद लोकसभा में उतरने की तैयारी में थी लेकिन अब वह भी अखिलेश यादव की तरह चुनावी मैदान में सीधे तौर पर न उतरकर। पर्दे के पीछे रहकर सारा काम संभालेगी। हालांकि मायावती के लिए संभावनाएं जाता जा रही थी कि वह पश्चिम यूपी की नगीना या पूर्वी यूपी की आंबेडकरनगर सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं है।
सपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार दोनो ही नेता का चुनाव न लड़ने का अहम कारण चुनाव पर ध्यान देना है। इस बार दोनो ही नेता गठबंधन के लिए यूपी में एक साथ कई रैलियां करेंगे। इसके अलावा अखिलेश और माया अलग अलग भी कई जनसभा को संबोधित करेंगे। जिसके कारण उनके खुद के चुनाव लड़ने की स्थिति में अपनी सीट पर फोकस करना कठिन होगा। इस स्थिति को देखते हुए दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने खुद लोकसभा का चुनाव ना लड़ने का फैसला किया है।
सूत्रों के अनुसार मायावती चुनावो में कुल 30 रैलिया करेंगी। जिसमें 11 अखिलेश यादव के साथ संयुक्त रैली होगी। इस दौरान 3-4 अप्रैल को मायावती दक्षिण भारत का रुख करेंगी। जिसमे आंध्र प्रदेश में अभिनेता से राजनेता बने पवन कल्याण की पार्टी जनसेना के साथ बीएसपी की सुयंक्त रैली मे हिस्सा लेगी। इसके बाद मायावती 5 अप्रैल को नागपुर के प्रवास पर रहेंगी। वहीं 10 और 11 अप्रैल को मायावती कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगी।