तारीख थी, 5 जून। साल था 2019। वो दिन भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए किसी तीज-त्यौहार से कम नहीं था, लेकिन इसके साथ ही काफी निर्णायक भी। इंग्लैंड के रोज बाउल स्टेडियम में भारतीय खिलाड़ी पिच पर अपना मोर्चा संभालने से पहले अपने देश के राष्ट्रगाण को आदर सम्मान देते हुए एक कतार में खड़े होकर अपना राष्ट्रगाण गा रहे थे। उसी कतार में एक लड़का भी मौजूद था। उस लड़के को लोग चाइनामैन कहते हैं। कतार मैं मौजूद लड़का जोश, जज्बा और जज्बात से लबरेज था। क्रिकेट की दुनिया में इसने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इसकी सफलता के नाम के जाने कितनी ही इबारते लिखीं गईं हैं। हालांकि, जीवन में मुसीबत इसके भी आई। लेकिन, पस्त नहीं हुआ है ये लड़का। वही जोश, वही जज़्बा, वही जज्बात, इस लड़के में उस दौरान देखा जा रहा था। जिसके साथ इसने क्रिकेट की दुनिया में अपना पहला कदम रखा थ। ये भी पढ़े :लता मंगेश्कर से अनुष्का तक, बॉलीवुड-क्रिकेट के इन अफेयर्स की खूब हुई चर्चा
अब जब आपको इस लड़के के बारे में इनता सबकुछ बता दिया, तो अब आपको बता ही देते हैं। आखिर कौन है ये लड़का। जिसके गुणगान हम गाएं जा रहे हैं। वैसे, तो ये लड़का उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के एक छोटे से गांव का रहने वाला है। गांव भले ही छोटा था। लेकिन, छोटे से गांव में रहने वाले इस लड़के के अरमान छोटे नहीं थे। सफलता की बुलंदियों को छूना चाहता था, ये लड़का। नाम था इसका कुलदीप यादव। इसने भी वही सोचा था। जो आज से पहले महेंद्र सिंह धोनी, सचिन तेंदुलकर, कपिल देव सरीखे खिलाड़ियों ने सोचा था। फिर क्या था, ये भी चल पड़ा उसी राह पर जिस राह में ये उक्त खिलाड़ी चले थे। फॉस्टबॉलर बनकर इसने क्रिकेट की दुनिया में अपना पहला कदम रखा था। बाद में इनके कोच ने इन्हें सलाह दी कि फॉस्टबॉलर से रुखसत होकर स्पिनर में चले जाओ। ये काफी अच्छा रहेगा। क्योंकि आपकी हाईट फॉस्टबॉलर के लिए सटीक नहीं है।
हालांकि, उन्हें अपने कोच की हिदायत को आत्मसात करने में कमोबेश मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। लेकिन, इन्हें भी लगने लगा कि यही मेरे लिए ठीक रहेगा। इसके साथ ही साथ इनके करियर की गाड़ी चलती गई और आज ये इस मुकाम पर मौजूद हैं। इसी बीच, 5 जून को जब भारत और साउथ अफ्रीका के बीच में मैच चल रहा था। तब उस दौरान कानपुर की फिजा भी बिल्कुल अलग ही थी। सबके सब मानो क्रिकेट के रंग में तरबतर हो गए हों। कुलदीप के घर में भी लोग की भीड़ जमा थी। खुद, कुलदीप के माता-पिता भी अपने बेटे को उस पिच पर देखकर अभिभूत थे। वहीं, कुलदीप के माता-पिता का कहना है कि कुलदीप में बहुत रूची थी क्रिकेट को लेकर। आप ऐसा समझ सकते हैं। क्रिकेट ही उसका जीवन है। क्रिकेट की बिना उसके जीवन की कल्पना करना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है।
एक मर्तबा तो ऐसा भी हुआ कि जब उसका चयन नहीं हो पाया था, तो उसने सोचा की वो आत्महत्या कर लेगा। लेकिन, इसके बाद काफी समझाने-बुझाने के बाद वो फिर से सकारात्मक आत्मविश्वास से लबालब हुआ। अब वो इस मुकाम है, तो ये सब देखकर मुझे बहुत खुशी होती है। ऐसे लगता है, जैसा मानो की जिन्दगी की सारी खुशी मिल गई है। हालांकि, क्रिकेट की इस दुनिया मे ऐसे कई सूरमा रहे हैं, जिन्होंने आज जिस मुकाम पर हैं। उस मुकाम पर पहुंचने के लिए कड़ी मशक्कत की है। इसी का नतीजा है कि आज वे इस मुकाम पर हैं। ये भी पढ़े :क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद ये काम करेंगे महेन्द्र सिंह धोनी, वीडियो जारी करके दिए संकेत