किसानों से भिड़े बीजेपी कार्यकर्ता, कई लोगों को आई गंभीर चोट

किसान कानूनों(farm laws) के लिए एक ओर जहां किसानों का प्रदर्शन जारी है, वहीं दूसरी ओर यूपी के मुजफ्फरनगर में सोमवार को बीजेपी कार्यकर्ताओं और किसानों के बीच मारामारी हो गई हैं, इन दोनों पक्षों के बीच हुई झड़प को कारण कई लोगों को चोटें आ गई है। बातचीत में पता चला है कि सोरम गांव में एक तेरहवीं में गए केंद्रीय राज्य मंत्री डॉक्टर संजीव बालियान के खिलाफ बोलने वालों की पिटाई कर दी गई है। इसमें कुछ युवक शामिल हैं। एक ओर से विवाद बढ़ने के बाद दोनों ओर से संघर्ष जमकर कर हुआ। संजीव बालियान के जाने के बाद सोरम गांव में पंचायत भी हुई।
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राष्ट्रीय लोक दल के नेताओं का दिखा आक्रोश
सोरम गाँव में बीजेपी नेताओं और किसानों के बीच संघर्ष, कई लोग घायल! किसान के पक्ष में बात नहीं होती तो कम से कम, व्यवहार तो अच्छा रखो। किसान की इज़्ज़त तो करो! इब कानूनों के फायदे बताने जा रहे सरकार के नुमाइंदों की गुंडागर्दी बर्दाश्त करेंगे गाँववाले?#मुजफ्फरनगर pic.twitter.com/X21oP7iTgP
— Jayant Chaudhary (@jayantrld) February 22, 2021
पीड़ित दल ने पंचायत में हमलावरों के ऊपर आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के संग में ही हमलावर थे। पंचायत में रालोद के पूर्व मंत्री योगराज सिंह, राजपाल बालियान पहुंचे। इस घटना के बाद रालोद नेताओं ने काफी आक्रोश जताया है। अब इस मुद्दे को पुलिस तक पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। इस घटना के बाद जयंत चौधरी ने भी ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में चौधरी ने ट्वीट कर लिखा कि सोरम गांव में बीजेपी नेताओं और किसानों के बीच संघर्ष हुआ है। इसमें कई लोग घायल हैं। किसान के पक्ष में बात नहीं होती तो कम से कम व्यवहार तो अच्छा रखो। किसान की इज़्ज़त तो करो। इन कानूनों के फायदे बताने जा रहे सरकार के नुमाइंदों की गुंडागर्दी बर्दाश्त करेंगे गांववाले?
अमित शाह ने बीजेपी नेताओं की सौपी ये जिम्मेदारी
सरकार को ये किसान आंदोलन पसंद नहीं आ रहा है। गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिमी यूपी के बीजेपी नेताओं को ये जिम्मेदारी सौंपी है कि लोंगो के बीच जाकर कृषि कानूनों को लेकर जो गलत बातें इधर ऊधर फैली हुई है, उनको दूर करें। आपकों बता दें कि इससे पहले रविवार को भी जब केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान का काफिला भैंसवाल गांव पहुंचा था, वहां भी उन्हें विरोध झेलना पड़ा। खाप चौधरियों ने इन नेताओं से मिलने से साफ मना कर दिया। किसानों ने नारा दिया कि पहले तीनों कानून वापस कराओ, फिर गांव में आओ।
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