Basti News: जब भी भक्तों पर विपदा पड़ती है भगवान दौड़े चले आते हैं कभी पीतांबर फेक कर द्रोपदी की लाज बचाते हैं तो कभी उंगली पर गोवर्धन पर्वत धारण करते हुए भक्तों की रक्षा करते है। ढोढरी गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन करपात्री जी महाराज ने अपने श्री मुख से कथा सुनाते हुए कहा कि, जब इंद्रदेव ब्रज वासियों पर क्रोधित हो गए थे और उन्होंने घनघोर वर्षा करवाई जिससे ब्रजवासी काफी परेशान हो गए। तब श्री कृष्णा ने आकर गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर धारण किया और भक्तों के कष्टों का निवारण किया। करपात्री जी महाराज ने श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा गोपियां ईश्वर के लिए जीती थी इसीलिए उन्हें प्रेम सन्यासिनी कहा गया प्रभु प्रेम में हृदय का द्रविद होना ही तो मुक्ति है। कृष्ण कथा और बांसुरी का श्रवण करते समय चाहे आंखें खुली ही क्यों ना हो समाधि लग जाती है। वही करपात्री जी महाराज ने भक्त पहलाद और कुंती भक्ति और भीष्म का प्रेम ,राधा के त्याग, गोकुल भूमि की महिमा और ग्वाल बाल गोपिकाओ का श्री कृष्ण के प्रति समर्पण वर्णन करते हुए कहा संसार में कुंती जैसा वरदान
किसी ने नहीं मांगा। कुंती ने कन्हैया से दुख मांगा जिससे उनका कन्हैया उनसे दूर ना हो जाए। मुख्य यजमान शशिकांत पांडेय, श्रीमती सुनीता पांडेय, रमाकांत पांडे ,श्रीमती मीना पांडे ने विधि विधान से व्यासपीठ का पूजन किया। आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में जय प्रकाश शुक्ला, रामभवन चौधरी ,महेश चंद्र गुप्तांगों, हर्ष पांडेय, विनोद पांडेय सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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