उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले से एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें पहले धार्मिक झंडा फहराते और फिर पत्थरबाजी व तोड़फोड़ होती दिख रही है। यह विवाद जिले के खजुहा कस्बे के पास स्थित एक ऐतिहासिक स्थल को लेकर है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह स्थान श्री ठाकुर जी का मंदिर है और उनके पूर्वजों की पुश्तैनी जमीन पर स्थित है। वहीं मुस्लिम पक्ष इसे 350 साल पुराना मकबरा बता रहा है और उसका कहना है कि यहां सदियों से उर्स और नमाज़ होती रही है। इस विरोधाभास ने देखते ही देखते सांप्रदायिक रूप ले लिया।
पत्थरबाजी, तोड़फोड़ और तैनात हुआ प्रशासन
स्थानीय लोगों के अनुसार, विवाद की शुरुआत तब हुई जब एक समुदाय द्वारा धार्मिक झंडा लगाकर धार्मिक पहचान दर्ज कराई गई। इसके तुरंत बाद मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई, जिसके चलते दोनों पक्षों के बीच कहासुनी शुरू हो गई। कुछ ही देर में मामला हिंसक झड़प में बदल गया और एक-दूसरे पर पत्थर चलने लगे। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस और प्रशासनिक अमला पहुंचा, जिसके बाद स्थिति को किसी तरह काबू में लाया गया। फतेहपुर डीएम और एसपी ने घटनास्थल का दौरा किया और शांति बनाए रखने की अपील की। फिलहाल इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है और कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है।
दस्तावेजों की जांच में जुटा प्रशासन
मामला अब स्थल की ऐतिहासिकता से जुड़ गया है। प्रशासन ने दोनों पक्षों से मालिकाना हक और धार्मिक पहचान से जुड़े दस्तावेज मांगे हैं। अधिकारियों का कहना है कि पुरातत्व और राजस्व विभाग के रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं ताकि यह तय किया जा सके कि यह जमीन मकबरा है या मंदिर। इस बीच वायरल वीडियो ने सोशल मीडिया पर राजनीतिक और धार्मिक बहस को भी जन्म दे दिया है। कुछ कट्टरपंथी समूहों ने इस मौके का फायदा उठाकर उकसावे भरे बयान देना शुरू कर दिया है, जिससे तनाव और गहरा सकता है।
शांति की अपील, लेकिन टकराव बना हुआ है
प्रशासन, पुलिस और जिला शांति समिति लगातार दोनों समुदायों के वरिष्ठ लोगों के साथ बैठकें कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि शांति भंग करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। हालांकि स्थानीय स्तर पर तनाव अब भी बना हुआ है, और लोगों में भय और अनिश्चितता का माहौल है। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि धार्मिक पहचान और आस्था के टकराव को संविधान और कानून के दायरे में कैसे हल किया जाए।
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