हैदराबाद के सांसद और AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के छह साल बाद एक बार फिर टिप्पणी की। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने वाले व्यक्ति पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, क्योंकि वह बहुसंख्यक समुदाय का था। ओवैसी ने यह भी कहा कि किसी मुसलमान ने सुप्रीम कोर्ट में किसी जज पर जूता नहीं फेंका। उन्होंने यह बात रविवार को एक सार्वजनिक मंच पर कही और इस मुद्दे पर बहस को उजागर किया।
भारत की एकता और मुसलमानों का पक्ष
ओवैसी ने कहा कि कुछ लोग मुसलमानों को निशाना बनाते हैं और उनसे वफादारी का प्रमाण मांगते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि मुसलमान हमेशा देश के प्रति वफादार रहे हैं और देश से नफरत कभी नहीं की। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर मुसलमानों के साथ अन्याय और नफरत की दृष्टि अपनाई जाएगी तो इससे देश की एकता और विकास पर असर पड़ेगा। ओवैसी ने कहा, “अगर आप मुसलमानों को नफरत की नजर से देखेंगे और उनके साथ अन्याय करेंगे तो भारत कभी भी विकसित देश नहीं बन सकता।”
जूता फेंकने की घटना और बहस
पूर्व सीजेआई बीआर गवई पर जूता फेंकने की घटना का हवाला देते हुए ओवैसी ने कहा कि मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी किसी मुसलमान ने अदालत में किसी जज पर यह कार्रवाई नहीं की। उन्होंने तंज कसा कि जूता फेंकने वाले को कोई सजा नहीं दी गई क्योंकि वह बहुसंख्यक समुदाय का था। ओवैसी ने इसे समाज में धार्मिक असमानता और दोहरी मानक का उदाहरण बताया। उनके अनुसार, ऐसे दमन और भेदभाव से मुसलमानों की भावनाओं को चोट पहुंचती है और समाज में तनाव पैदा होता है।
देश में सामूहिक सहिष्णुता की जरूरत
ओवैसी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि मुसलमानों के प्रति नफरत की दृष्टि अपनाने से भारत की सामाजिक और आर्थिक प्रगति बाधित होगी। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे सभी समुदायों के साथ समान व्यवहार करें और किसी को भी धार्मिक आधार पर निशाना न बनाएं। ओवैसी ने कहा, “हमने हमेशा अपने वतन से मोहब्बत की है और करते रहेंगे। अगर हम मुसलमानों को दबाएंगे तो यह भारत के लिए नुकसानदेह होगा।” उनके अनुसार, देश की प्रगति और विकास के लिए सामूहिक सहिष्णुता और सभी धर्मों का सम्मान बेहद जरूरी है।
