दीपावली से पहले उत्तर प्रदेश के दिव्यांगजनों के लिए एक बड़ी सौगात सामने आई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक महत्वपूर्ण ऐलान करते हुए प्रदेश के सभी 18 मंडलों में अत्याधुनिक दिव्यांग पुनर्वास केंद्र स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। सीएम योगी का कहना है कि इस योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी दिव्यांगजन समाज की मुख्यधारा से वंचित न रहे।
सरकार इन केंद्रों को “सेवा, संवेदना और सम्मान” के मूलमंत्र के साथ संचालित करेगी, जहां एक ही छत के नीचे चिकित्सा, शिक्षा, मनोवैज्ञानिक और व्यावसायिक सहायता प्रदान की जाएगी। दीपावली से पहले ये घोषणा दिव्यांगजनों के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आई है।
इन केंद्रों में फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी, मनोवैज्ञानिक परामर्श, ऑर्थोटिक व प्रॉस्थेटिक सेवाएं, उपकरण वितरण और अन्य सभी आवश्यक सेवाएं एक ही स्थान पर मौजूद रहेंगी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जहां पहले से पुनर्वास केंद्र संचालित हो रहे हैं, वहां की सेवाओं को और सशक्त बनाते हुए मॉडल सेंटर के रूप में विकसित किया जाए।
जहां नहीं हैं केंद्र, वहां प्राथमिकता के आधार पर होगी स्थापना
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि जिन जिलों में दिव्यांग पुनर्वास केंद्र अब तक नहीं बने हैं, वहां इन्हें प्राथमिकता के आधार पर स्थानीय जिला या सरकारी अस्पतालों के परिसरों में स्थापित किया जाएगा। यदि अस्पताल परिसर में पर्याप्त स्थान नहीं है, तो अलग से भवन का निर्माण कराया जाएगा। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि चिकित्सा सुविधाओं के साथ पुनर्वास सेवाओं का समन्वय सहज और प्रभावी हो।
यह निर्णय दिव्यांगजनों की स्वतंत्रता, आत्मनिर्भरता और सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देगा। विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के लिए यह एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है, जहां अब तक इन सुविधाओं की भारी कमी थी। सरकार चाहती है कि कोई भी व्यक्ति केवल इस कारण से पीछे न छूटे कि वह दिव्यांग है।
राज्य सरकार ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया है कि केंद्रों में काम करने वाले स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण दिया जाए, जिससे सेवाओं की गुणवत्ता में कोई समझौता न हो और प्रत्येक दिव्यांग को व्यक्तिगत और संवेदनशील देखभाल मिल सके।
UP मॉडल बनेगा राष्ट्रीय उदाहरण, दिव्यांगों के लिए होगा Game Changer
इस पहल से उत्तर प्रदेश दिव्यांग पुनर्वास में देश का मॉडल राज्य बन सकता है। सरकार की मंशा है कि ये केंद्र केवल सहायता केंद्र न बनें, बल्कि दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के प्लेटफॉर्म की तरह काम करें। इसका सीधा लाभ लाखों दिव्यांगों और उनके परिवारों को मिलेगा, जो अब तक लंबी दूरी तय कर के सेवाओं तक पहुंचते थे।
साथ ही, ये पुनर्वास केंद्र राज्य सरकार की सामाजिक न्याय और समान अवसरों की नीति को भी मजबूती प्रदान करेंगे। दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष शिक्षा की सुविधा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और करियर गाइडेंस जैसी सेवाएं भी इन केंद्रों में शामिल की जाएंगी, जिससे वे अपने जीवन को नई दिशा दे सकें।
इस निर्णय से पहले ही योगी सरकार ने दिव्यांग पेंशन, उपकरण वितरण और आरक्षण जैसी योजनाओं में सराहनीय काम किया है। अब यह नया कदम उत्तर प्रदेश को समावेशी विकास की ओर एक बड़ा और निर्णायक मोड़ देगा।
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