लखनऊ की डालीबाग कॉलोनी में आज का दिन इतिहास बन गया। वह जमीन, जो कभी माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के अवैध कब्जे का प्रतीक मानी जाती थी, अब गरीब परिवारों के सपनों का ठिकाना बन चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को 72 आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को नए फ्लैटों की चाबियां सौंपीं। यह नजारा केवल आवास वितरण का नहीं था, बल्कि एक युग परिवर्तन का संदेश भी दे रहा था — जहां पहले भय का साम्राज्य था, वहां अब विकास और सम्मान की इमारत खड़ी है।
“सरदार पटेल योजना” से नया जीवन
सरदार वल्लभभाई पटेल आवासीय योजना के तहत डालीबाग में तीन आधुनिक ब्लॉकों में बनाए गए ये 72 फ्लैट अब उन परिवारों की नई पहचान हैं, जिनके पास कभी स्थायी छत नहीं थी। हर फ्लैट में मूलभूत सुविधाएं — बिजली, पानी, सीवरेज और पार्किंग — की पूरी व्यवस्था है। सरकार ने प्रत्येक यूनिट की कीमत लगभग ₹10.70 लाख तय की है, जिसे आसान किश्तों में चुकाया जा सकेगा। चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रही; लॉटरी प्रणाली के माध्यम से लाभार्थियों के नाम घोषित किए गए।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान कहा, “माफिया कभी किसी का नहीं होता। उसका साम्राज्य भय और शोषण पर टिकता है, लेकिन अब वो दौर खत्म हो चुका है। जो जमीन कभी अपराध की निशानी थी, वही अब गरीबों की खुशियों की पहचान बनेगी।”
मुक्ति की मिसाल बना डालीबाग
लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा पुनर्विकसित यह इलाका अब “मॉडल ज़ोन” के रूप में देखा जा रहा है, जहां सरकारी योजनाओं को जनता के हित में वास्तविक रूप दिया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहल न केवल आवास देने का कार्य है, बल्कि यह समाज को यह भरोसा भी दिलाती है कि शासन तंत्र अपराध से लड़ी गई हर लड़ाई में जनता के साथ खड़ा है। जिन गलियों में पहले खामोशी और डर था, वहां अब बच्चों की हंसी गूंज रही है।
यह परियोजना आने वाले समय में उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के लिए भी उदाहरण बन सकती है — कि सरकारी इच्छाशक्ति हो तो माफियाओं से छीनी गई जमीनें भी समाज के हित में इस्तेमाल की जा सकती हैं।
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