बरेली हिंसा के बाद योगी सरकार की ताबड़तोड़ कार्रवाई का असर अब मुरादाबाद तक पहुंच गया है। बरेली में “आई लव मोहम्मद” प्रदर्शन के दौरान हुए उपद्रव में तौकीर रजा के समर्थन में सामने आए कांग्रेस नेता ने अचानक सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर माफी मांग ली। बताया जा रहा है कि जैसे-जैसे पुलिस और प्रशासन उपद्रवियों पर बुलडोज़र और गिरफ्तारी की कार्रवाई कर रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों से जुड़े नेता भी अपनी लाइन बदल रहे हैं।
तौकीर रजा के समर्थन से पीछे हटे कांग्रेस नेता
मुरादाबाद के इस कांग्रेस नेता ने बरेली उपद्रव के बाद सोशल मीडिया पर तौकीर रजा का खुलकर समर्थन किया था। लेकिन जब पुलिस ने 70 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और रजा के करीबी रिश्तेदारों पर बुलडोज़र चला दिया, तो उनकी राजनीतिक ज़मीन खिसकती दिखी। हालात बिगड़ते देख कांग्रेस नेता ने खुद को बचाने के लिए जनता और सरकार से हाथ जोड़कर माफी मांग ली। वीडियो में उन्होंने कहा कि उनका मकसद किसी तरह से हिंसा भड़काना नहीं था, बल्कि ग़लतफ़हमी के चलते बयान दिया गया।
योगी सरकार की सख्ती से कांपे समर्थक
हिंसा के बाद पुलिस लगातार दबिश दे रही है। एक आरोपी को एनकाउंटर के बाद गिरफ्तार किया गया, जबकि कई फरार आरोपियों की तलाश जारी है। सूत्र बताते हैं कि बुलडोज़र की कार्रवाई और तेज़ी से हो रही गिरफ्तारियों ने आरोपियों के साथ-साथ उनके राजनीतिक समर्थकों को भी हिला दिया है। मुरादाबाद कांग्रेस नेता का माफीनामा इसी दबाव का नतीजा माना जा रहा है। कई स्थानीय नेताओं का कहना है कि जिस तरह से योगी सरकार ने एक्शन लिया है, उससे अब कोई भी खुलकर तौकीर रजा के पक्ष में बोलने से बच रहा है।
कांग्रेस पर सियासी दबाव, भाजपा ने साधा निशाना
कांग्रेस नेता की माफी ने पार्टी के भीतर भी हलचल पैदा कर दी है। भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस हमेशा दंगाइयों के साथ खड़ी होती है, लेकिन सख्त कार्रवाई के बाद उसके नेता भी पलटी मारते हैं। एक भाजपा प्रवक्ता ने बयान दिया—”यह कांग्रेस का असली चेहरा है। जब दंगाई ताकतवर दिखते हैं, तो कांग्रेस उनका साथ देती है और जब योगी सरकार एक्शन लेती है, तो कांग्रेस नेता माफी मांगते फिरते हैं।” वहीं, कांग्रेस खेमे से जुड़े कुछ नेताओं का कहना है कि व्यक्तिगत बयान को पार्टी लाइन से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
तौकीर रजा की मुश्किलें और बढ़ीं
बरेली उपद्रव का मुख्य चेहरा माने जा रहे तौकीर रजा पर पहले से ही पुलिस की नज़र है। उनके करीबी रिश्तेदारों और समर्थकों पर बुलडोज़र चलने से उनका दबदबा भी कमजोर होता दिख रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जिस तरह से समर्थक नेता अब पीछे हटने लगे हैं, उससे रजा की ताक़त में सेंध लग सकती है। कांग्रेस नेता की माफी को भी इसी सियासी बदलाव का हिस्सा माना जा रहा है।
Read more-पाकिस्तान के क्वेटा में खौफनाक धमाका: आत्मघाती हमले में 10 की मौत, 33 घायल, शहर में मातम
