उत्तर प्रदेश (UP) की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मदरसा शिक्षा व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए मदरसा शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को पूरी तरह नए ढांचे में लाने का निर्णय लिया है। अब इन शिक्षकों की भर्ती सीधे शिक्षा चयन आयोग (Education Selection Commission) के माध्यम से की जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है और जल्द ही इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।
पहले मदरसा बोर्ड की अनुशंसा पर नियुक्तियां होती थीं, जिससे पारदर्शिता को लेकर कई बार सवाल उठते रहे। अब सरकार का दावा है कि नई व्यवस्था से योग्य अभ्यर्थियों को समान अवसर मिलेगा और भर्ती प्रक्रिया पूर्ण रूप से मेरिट आधारित होगी।
नई प्रणाली के तहत, मदरसा शिक्षकों की भर्ती अब उसी तरह होगी जैसे माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग में होती है। आयोग एक सामान्य लिखित परीक्षा आयोजित करेगा, जिसमें पास होने वाले उम्मीदवारों की मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी। इसके बाद इंटरव्यू और दस्तावेज़ सत्यापन की प्रक्रिया होगी।
राज्य सरकार का मानना है कि इससे राजनीतिक या सामाजिक प्रभावों से मुक्त होकर निष्पक्ष चयन संभव होगा। सूत्रों के अनुसार, आयोग मदरसा शिक्षकों के लिए अलग पाठ्यक्रम और पात्रता मानदंड भी तय करेगा ताकि धार्मिक और आधुनिक शिक्षा का संतुलन बना रहे।
प्रस्ताव तैयार, जल्द मिल सकती है कैबिनेट की मंजूरी
शासन स्तर पर इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया गया है। शिक्षा विभाग ने पूरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंप दी है। कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी मिलने के बाद ‘उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षकों की नियुक्ति नियमावली 2025’ लागू की जाएगी। इसके साथ ही पुरानी नियमावली रद्द मानी जाएगी।
इस नियमावली में शिक्षकों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता, चयन प्रक्रिया, नियुक्ति शर्तें और वेतनमान को लेकर भी नए प्रावधान जोड़े गए हैं। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा और विद्यार्थियों को आधुनिक विषयों की समझ भी बेहतर होगी।
मदरसा बोर्ड की भूमिका सीमित
नए नियमों के बाद मदरसा बोर्ड की भूमिका सीमित हो जाएगी। बोर्ड केवल शैक्षणिक पर्यवेक्षण और पाठ्यक्रम समन्वय का कार्य करेगा। नियुक्ति प्रक्रिया में उसका कोई प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं रहेगा। इससे भर्ती में होने वाली गड़बड़ियों पर लगाम लगने की उम्मीद है।
राज्य के लगभग 16,000 मान्यता प्राप्त मदरसों में शिक्षकों की भारी कमी है। नई व्यवस्था से बड़ी संख्या में योग्य अभ्यर्थियों को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2026 तक सभी रिक्त पदों को भर दिया जाए।
