Friday, December 5, 2025
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पति का डेथ सर्टिफिकेट लेने गई महिला… और कागज़ों में खुद ‘मृत’ हो गई! अलीगढ़ में चौंकाने वाला खेल

अलीगढ़ में प्रशासनिक लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया, जहां एक महिला अपने पति का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने गई लेकिन रिकॉर्ड में उसे ही मृत घोषित कर दिया गया। पढ़ें पूरा मामला, जांच, अधिकारियों की प्रतिक्रिया और महिला की संघर्षपूर्ण कहानी।

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अलीगढ़ जिले के खैर क्षेत्र में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। चमन नगरिया गांव की रहने वाली सरोज देवी अपने पति जगदीश प्रसाद का डेथ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए 20 साल बाद ब्लॉक कार्यालय गई थीं। लेकिन जब प्रमाण पत्र आया तो उसमें उनके पति की जगह मृतक के रूप में स्वयं सरोज देवी का नाम दर्ज था। यह सिर्फ एक टाइपिंग मिस्टेक नहीं, बल्कि ऐसी चूक थी जिसने एक जीवित महिला को सरकारी रिकॉर्ड में “मृत व्यक्ति” बना दिया। इस गलत रिकॉर्डिंग ने उनकी पहचान, अधिकारों और जीवन से जुड़े कई कार्यों को अधर में लटका दिया है।

वर्षों की मशक्कत के बाद खुली बड़ी गलती

सरोज देवी के पति का निधन 19 फरवरी 2000 को हुआ था। उस समय उन्होंने प्रमाण पत्र नहीं बनवाया, लेकिन पेंशन और सरकारी लाभों की औपचारिकताओं के लिए वर्ष 2020 से उन्होंने इसकी प्रक्रिया शुरू की। दो साल तक ब्लॉक कार्यालय और ग्राम पंचायत सचिव के सैकड़ों चक्कर लगाने के बाद भी उनका काम नहीं हुआ।

अंततः जब 19 अक्टूबर 2022 को प्रमाण पत्र जारी हुआ तो वह देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। दस्तावेज़ में मृतक के नाम पर “सरोज देवी” और जीवित के तौर पर “जगदीश प्रसाद” लिखा था। यानी सिस्टम की गलती ने उन्हें एक झटके में “मृत व्यक्ति” बना दिया।
यह त्रुटि साबित करती है कि ग्रामीण स्तर पर दस्तावेज़ों की जांच कितनी लापरवाही से की जाती है और एक आम नागरिक किस तरह ऐसी गलतियों की कीमत सालों तक चुकाता है।

अधिकारियों के चक्कर और सिर्फ आश्वासन

गलत प्रमाण पत्र मिलने के बाद सरोज देवी ने तुरंत पंचायत सचिव और ब्लॉक कार्यालय में सुधार के लिए आवेदन दिया। लेकिन हर बार केवल आश्वासन मिला— “फाइल भेज दी है”,
“जांच होगी”, “सिस्टम में सुधार कर रहे हैं”… लेकिन सुधार नहीं हुआ। सरोज देवी का कहना है कि इस गलती के कारण वे न तो आवश्यक दस्तावेज अपडेट करा पा रही हैं, न ही किसी सरकारी लाभ का फायदा उठा पा रही हैं। कागज़ों में “मृत” होने की वजह से वे अपने जीवन से जुड़े कई अधिकारों से वंचित हो चुकी हैं।
प्रशासनिक विभागों की धीमी कार्यप्रणाली और टालमटोल रवैये ने उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है, जबकि यह गलती कुछ मिनट की जाँच से सुधारी जा सकती थी।

एसडीएम ने दी जांच के आदेश

लगातार महीनों तक ऑफिसों के चक्कर लगाने के बावजूद जब कोई समाधान नहीं हुआ, तो 15 नवंबर 2024 को सरोज देवी ने संपूर्ण समाधान दिवस में एसडीएम शिशिर कुमार सिंह को प्रार्थना पत्र सौंपा।

उन्होंने विस्तार से बताया कि किस तरह गलती से उन्हें मृत घोषित कर दिया गया है और इसका उनके जीवन पर कितना गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
शिकायत सुनने के बाद एसडीएम ने मामले को गंभीर मानते हुए तत्काल जांच का आदेश दिया। उन्होंने ब्लॉक खैर और पंचायत सचिव को निर्देश दिया कि रिकॉर्ड की जांच कर वास्तविक स्थिति सामने लाई जाए और जल्द से जल्द त्रुटि को सुधारा जाए।

हालांकि जांच आदेश के बाद भी सरोज देवी को अब इस बात का इंतजार है कि कब तक वे सरकारी रिकॉर्ड में “जीवित” होकर अपने अधिकार प्राप्त कर पाएंगी। यह मामला प्रशासनिक लापरवाही की एक ऐसी मिसाल है, जो बताती है कि एक छोटी सी गलती किसी नागरिक के जीवन पर कितना गहरा असर डाल सकती है।

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