2018-19 का फाइनेंशियल ईयर 31 मार्च को खत्म होने वाला है। लेकिन साल खत्म होने से पहले ऐसे कई काम हो जो आपको 31 मार्च से पहले करने होंगे। जिससे आपका आने वाला साल फाइनेंशियल अच्छा बीते।
1.स्टॉक्स और इक्विटी फंड्स से प्रॉफिट बुक करें
स्टॉक्स और इक्विटी ऑरियेंटेड फंड्स पर 1 लाख रुपये से ज्यादा के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस पर अब टैक्स लगता है। अगर आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस हुआ है तो आपके लिए 1 लाख रुपये तक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर टैक्स छूट का फायदा उठाने का यही मौका है। 31 मार्च से पहले इस हिसाब से प्रॉफिट बुक करें कि टैक्स छूट का लाभ मिल जाए। इसके लिए, आपको इस सप्ताह उतने स्टॉक्स और इक्विटि फंड्स बेच देने चाहिए, जितने पर 1 लाख रुपये तक का लाभ मिल जाए। फिर इसी पैसे को अगले वित्त वर्ष में दोबारा इन्वेस्ट कर दें।
2. अब तक नहीं भरा ITR तो भर लें
वित्त वर्ष 2017-18 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का आखिरी समय इस हफ्ते पूरा हो जाएगा। अगर आपने अपना आईटीआर नही भरा है तो जल्द भरो। दरअसल पिछले साल के बजट के दौरान सरकार ने साफ किया था अगर लास्ट टाइम तक टेक्स नहीं दिया गया। तो आपको जुर्माना देना होगा। इनकम टैक्स ऐक्ट के नए सेक्शन 234F के तहत डेडलाइन के बाद आईटीआर फाइल करने पर 5,000 रुपये फाइन देना होगा।’
3. तीन वर्ष के FMP को लॉक करें
म्यूचुअल फंड्स के फिक्स्ड मच्योरिटी प्लांस (FMPs) क्लोज एंडेड डेट स्कीम्स होते हैं जिनकी मच्योरिटी की तारीख तय होती है। जैसा कि डेट फंड्स के मामले में होता है, तीन वर्ष से ज्यादा की मच्योरिटी वाले FMPs में निवेश पर मिले लाभ को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस माना जाता है और इस पर इंडेक्सेशन के साथ 20% टैक्स देना होता है। अगर होल्डिंग पीरियड तीन वित्तीय वर्ष से ज्यादा हो तो इंडेक्सेशन बेनिफिट बढ़ जाता है। अभी उपलब्ध कुछ FMPs 2022-23 में मच्योर होंगे, इसलिए आप महज 37-38 महीने के होल्डिंग पीरियड पर ही चार वर्षों का इंडेक्सेशन बेनिफिट ले सकेंगे।
4. पूरी कर लें टैक्स प्लानिंग
कुछ लोग चालू वित्त वर्ष के लिए टैक्स प्लानिंग नहीं की होगी। अगर आप भी उन्हीं में से हैं तो जल्दी करें। अब आपके पास इन्वेस्टमेंट डीटेल्स को गहराई से परखने का पर्याप्त वक्त नहीं है। इसलिए, आप वैसी इंश्योरेंस पॉलिसी या अन्य जगहों पर पैसे नहीं लगाए जहां कई वर्षों तक निवेश की रकम छोड़नी पड़े। साथ ही, म्यूचुअल फंड्स और यूलिप्स जैसे इक्विटी से संबंधित निवेश विकल्पों में भी मोटा पैसा नहीं लगाएं। इनमें मंथली एसआईपी के जरिए निवेश ही ठीक होता है।