कैमरुन(Cameroon)। कहते है दुनिया में मां की जगह कोई नहीं ले सकता. मां अपने बच्चों के लिए कुछ भी करने को हमेशा तैयार रहती है. उसके लिए किसी भी परेशानी से लड़ जाती है और जान पर खेलकर अपने बच्चों की रक्षा करती है. ऐसा ही कुछ देछने को मिला है कैमरुन में जहां एक 80 वर्षीय किसान मां ने अपनी जिंदगी की परवाह किए बगैर अपने बेटे की जान बचा ली. किसान मां ने अपने बेटे की जिंदगी बचाने के लिए उसे 80 वर्ष की उम्र में किडनी(kidney) दान दे दी।
दरअसल, महिला का 52 वर्षीय बेटा जोसेफ(Joseph) लंबे समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित था। उसकी जान बचाने के लिए किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र रास्ता था। जिसके बाद जेपी अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण(kidney transplant) के लिए ऑपरेशन हुआ और यह ऑपरेशन सफल रहा. वहीं इतनी ज्यादा उम्र में किडनी दान करने पर यह मामला इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स(India book of records) में दर्ज हो गया है।
बता दें कि कैमरुन की रहने वाली 80 वर्षीय महिला मेडेलीन(Madeleine) का बेटा जोसेफ लंबे समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित था, जिसके कारण उसकी किडनी फेल हो गई थी और उन्हें तुरंत किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। वहीं बेटे की ये परेशानी उसकी मां से नहीं देखी गई और वो किडनी दान करने के लिए तैयार हो गईं। इस उम्र में किडनी प्रत्यारोपण करना भी डॉक्टरों के लिए काफी जटिल था, क्योंकि 65 साल की उम्र के बाद ज्यादातर किडनी सही नहीं रह पाती। जांच के बाद यह पाया गया कि उनकी किडनी अच्छी तरह से काम कर रही थी और किडनी दान करने के लिए वह फिट थीं। हालांकि, उनके पास दो किडनी की धमनियां और दो यूरेटर के साथ एक जटिल किडनी की संरचना थी, इस कारण किडनी के सही तरह से काम करने के लिए एक के बजाय दो ट्यूब को जोड़ना पड़ा।
जेपी अस्पताल किडनी प्रत्यारोपण विभाग के डॉ. अमित के देवड़ा(Amit K dewra) और डॉ. विजय के सिन्हा(Vijay K sinha) ने बताया कि ऑपरेशन के बाद के दर्द को कम करने के लिए डोनर की किडनी लेप्रोस्कोपी(laparoscopy) द्वारा निकाली गई। किडनी को हटाने के बाद पथरी को हटा दिया गया था। डॉक्टरों का कहना है कि मधुमेह(diabetes) और उच्च रक्तचाप(high blood pressure) जैसे को-मोर्बिडीटी से पीड़ित लोगों की संख्या में वृद्धि होने के कारण क्रोनिक किडनी रोग के मामलों में हाल ही में वृद्धि हुई है। ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों की टीम में डॉ अमित के. देवड़ा, डॉ. विजय के सिन्हा, डॉ. एलपी चौधरी, डॉ. रवि सिंह, डॉ. अनुज अरोड़ा और डॉ. खुशबू सिंह आदि शामिल थे।
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