श्राद्ध 13 सितंबर से लगने वाले है। इस समय हम लोग अपने पितृों को याद करते है। व्यक्तियों की मृत्यु तिथियों के अनुसार इस पक्ष में उनका श्राद्ध किया जाता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, हमारे पास अपने पितृों को तर्पण और श्राद्ध के लिए 15 दिन समय तय होता है जिसे हम पितृ पक्ष के नाम से भी जानते हैं। बता दें 13 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध होगा और 28 सितंबर को सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध होगा। आज हम आपको बताते है कि पितृ पक्ष में क्या करना है और क्या नहीं।
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष में पितृों यानी पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए ये दिन खास माने जाते है। इस समय में पितरों की पूजा करने से देवता गण भी प्रसन्न होते है। ब्रह्म पुराण के में कहा गया है कि पितृ पक्ष में विधि विधान से तर्पण करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। पितरों का ध्यान करने से आपको उनका आशीर्वाद मिलता है। अगर आपके परिवार पर पितृ दोष है तो इसके लिए आपको पितरों का श्राद्ध या पूजा करना चाहिए।
श्राद्ध पक्ष में पितरों के नाम का दान किए बिना खरीदरी नहीं करनी चाहिए।
अगर घर के द्वार पर मांगे आए व्यक्ति को खाली हाथ नहीं जाने दें।
इन दिनों में गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौआ इन्हें श्राद्ध पक्ष में मारना नहीं चाहिए।
गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौआ इन्हें श्राद्ध पक्ष रोज खाना देना चाहिए।
श्राद्ध पक्ष में मांसाहारी भोजन से दूरी बनाए रखें साथ नशीले पदार्थों से बचें।
श्राद्ध पक्ष में ब्रह्मचर्य का पालन करें,स्त्री व पुरुष संबंध से बनाने से बचें।
इन दिनों में नाखून, बाल और दाढ़ी मूंछ बनाने से बचें।