ये सवाल दिल्ली पुलिस के उन सूरमाओं से है, जो बड़े बड़े केस सॉल्व करने के दावे करते हैं। लेकिन हम आज आपको एक ऐसी कहानी बता रहे हैं, जिससे साफ पता चलता है कि दिल्ली पुलिस कार्रवाई के मामले में बेहद सुस्त है। उत्तर प्रदेश के हरदोई का रहने वाला 22 साल का लड़का दीपक नौकरी की तलाश में दिल्ली आया था। वो दिल्ली के शास्त्री नगर इलाके में रह रहा था। 22 मार्च यानी होली के ठीक एक दिन बाद दीपक के परिवार के खबर की गई कि, उसकी हत्या की गई है। ये पूरा मामला दिल्ली के सराय रोहिल्ला थाना क्षेत्र का है।
आगे जानिए कि इस केस की तह तक पहुंचने के बजाय दिल्ली पुलिस ने क्या किया है। दीपक के बड़े भाई आदित्य के मुताबिक भागे भागे मौके पर पहुंचे, तो सराय रोहिल्ला पुलिस स्टेशन के अधिकारी कुशल पाल ने एक खाली कागज पर उनसे दस्तखत करवा लिए। इसके बाद कहा गया कि आप चले जाएं और इस मामले में जो भी भी होगा, हम आपको बताएंगे। आगे पढ़िए…
हैरानी की बात देखिए…पुलिस ने जांच के बाद बताया गया कि दीपक ने आत्म हत्या की है। जिस कागज पर आदित्य से दस्तखत करवाए थे, उसमें ही अपनी क्लोजर रिपोर्ट पुलिस ने बनाई और आत्म हत्या की बात का जिक्र कर दिया। यानी हत्यारों तक तो पुलिस के हाथ नहीं पहुंचे, उल्टा इस केस को आत्महत्या का केस बताकर क्लोजिंग करने की कोशिश की गई। मृतक के भाई आदित्य को ये बात भी पता चली है कि होली वाले दिन दीपक का पैसों को लेकर कुछ लोगों से झगड़ा हुआ था।
आदित्य कहते हैं कि उनका भाई खुशदिल का था और उसकी जिंदगी में आत्महत्या करने वाला कोई कारण नहीं था, ऐसे में पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठने लाज़मी हैं। पुलिस ने इस मामले में जिस तरह से पल्ला झाड़ा है, वो साबित करता है कि एक परिवार को न्याय दिलाने में खाकी फेल हो गई। मृतक के भाई का कहना है कि वो आखिरी सांस तक अपने भाई को न्याय दिलाकर रहेंगे, उन्होंने इस मामले में पुलिस के खिलाफ ही कंप्लेन की है। फिलहाल देखना ये होगा कि अब मित्र पुलिस कही जाने वाली खाकी इस मामले में क्या कदम उठाती है।